पश्चिम चंपारण के इन तीन गांवों में आवाजाही पर है पूरी रोक, कोरोना के संक्रमण से दूर

पश्चिम चंपारण के रघिया चंपापुर व सेमरहनी में होली के बाद से ही बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक। शिक्षा के दृष्टिकोण से अपेक्षाकृत पिछड़ा इलाका है लेकिन बीमारी को लेकर जागरूकता में कमी नहीं है। रिश्तेदारों का फोन पर हाल जान लेते हाल।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 01:12 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 01:12 PM (IST)
पश्चिम चंपारण के इन तीन गांवों में आवाजाही पर है पूरी रोक, कोरोना के संक्रमण से दूर
ग्रामीणों के साथ बैठक कर इस पर लिखित रूप से मुहर लगाई गई है।

पश्चिम चंपारण, [विभोर कुमार पांडेय]। रामनगर प्रखंड के उत्तरांचल में बसे दोन क्षेत्र के रघिया, चंपापुर और सेमरहनी गांवों को कोरोना अभी तक छू नहीं सका है। बीते साल लॉकडाउन के साथ ही यहां के ग्रामीण इससे बचाव को लेकर सख्त रूप अपनाए हैं। पहली की तरह दूसरी लहर में भी बाहरी लोगों की आवाजाही पर रोक है। शादियां टाल दी हैं। जिले के रामनगर प्रखंड की बनकटवा करमहिया पंचायत के इन तीन गांवों की आबादी तकरीबन तीन हजार है। अधिकतर लोग खेती-बाड़ी और छोटे-मोटे काम करते हैं। शिक्षा के दृष्टिकोण से अपेक्षाकृत पिछड़ा इलाका है, लेकिन बीमारी को लेकर जागरूकता में कमी नहीं है। यही कारण है कि इन गांवों में रिश्तेदारों सहित आगंतुकों के लिए नो इंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है। फोन से एक दूसरे का कुशलक्षेम पूछ लेते हैं। चंपापुर के जितेंद्र उरांव और रघिया के गुमस्ता (मेठ) मनकिशोर महतो ने बताया कि यह निर्णय कोरोना से बचाव के लिए सर्वसहमति से लिया गया। ग्रामीणों के साथ बैठक कर इस पर लिखित रूप से मुहर लगाई गई है। इसमें तय हुआ कि कोरोना संकट की समाप्ति तक सभी लोग मास्क का प्रयोग करेंगे। शारीरिक दूरी बनाए रखेंगे। प्रतिदिन गर्म पानी का सेवन करेंगे। अनाज व सब्जी के लिए ग्रामीणों को बाहर नहीं जाना पड़ता। यह गांव में ही होता है। किराना सामान की खरीदारी करनी पड़ती है। चंपापुर में मुन्ना उरांव, रामेश्वर उरांव, महनाथ उरांव व गोविंद उरांव की किराना दुकान है। ये रामनगर से सामान लाते हैं। इन्होंने दुकानों पर गोल घेरे बनाए हैं, ताकि शारीरिक दूरी का पालन हो सके। सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं।

अनिश्चितकाल के लिए टल गईं शादियां

चंपापुर के तीर्थनाथ महतो की पुत्री की शादी सेमरा क्षेत्र के मर्यादपुर गांव में तय है। 30 अप्रैल को बरात आनी थी, लेकिन आपसी समझ-बूझ इसे टाल दिया गया। इसी तरह स्व. जिउत उरांव के पुत्र अमित की शादी भी टाल दी गई। सबसे बड़ी बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान तीनों गांवों में कोई भी व्यक्ति परदेस से नहीं लौटा है। गांव महामारी से सुरक्षित रहे, इसलिए एहतियातन बाहर कमाने गए लोगों को वहीं रोक दिया गया। स्थानीय लोग खेतों में काम करते हैं। दूसरे गांव में काम मिलने पर भी नहीं जाते। अंचलाधिकारी, रामनगर विनोद कुमार मिश्रा का कहना है कि इन तीन गांवों के लोगों ने जागरूकता के बल पर कोरोना पर रोक लगा रखी है। खुली जगह और स्वच्छ वातावरण के चलते यहां के ग्रामीण बीमार भी कम ही पड़ते हैं।  

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