Madhubani : सालाना तीन करोड़ का कारोबार है मधुबनी पेंटिंग से सुसज्जित सामान का

मधुबनी पेंटिंग आज साडिय़ां कुर्ते बेडशीट पर्दे महिलाओं व पुरुषों के परिधानों के साथ ही बैग पर्स टाई मिट्टी के बर्तनों कार्ड फाइल कवर जैसी चीजों पर भी उकेरी जाने लगी हैं। मधुबनी जिले में इस पेंटिंग से बने सामान का करीब तीन करोड़ का सालाना कारोबार हो रहा है।

By Vinay PankajEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 08:52 PM (IST) Updated:Wed, 24 Feb 2021 08:52 PM (IST)
Madhubani : सालाना तीन करोड़ का कारोबार है मधुबनी पेंटिंग से सुसज्जित सामान का
फाइल कवर पर बनाई गई मधुबनी पेंटिंग (जागरण)

मधुबनी, जागरण संवाददाता। मधुबनी पेंटिंग की धूम देश-विदेश में है। कुछ दशक पहले कच्चे घरों की मिट्टी की दीवारों पर व आंगन में जगह पाने वाली यह चित्रकारी आज नए आयाम गढ़ रही है। इस कला ने मधुबनी जिला को भी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान दी है। आज यह कला ना केवल फैशन की दुनिया में ट्रेंड कर रही है, बल्कि कोरोना जैसे विपदा काल में इस कला ने नए अवसर प्रदान कर कलाकारों का मनोबल भी बढ़ाया है। इसका कारोबार फैला है और इस कला से जुड़े कलाकारों की आमदनी बढ़ी है। अब यह कला पेशेवर रूप लेती जा रही है। नए दौर में मधुबनी पेंटिंग के विकास में मधुबनी की अग्रणी भूमिका रही है। इस कला के लिए अब तक जिन सात महिलाओं को देश का प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड दिया गया, वे सभी मधुबनी की ही रहने वाली हैं। वर्तमान में मधुबनी जिले में इस पेंटिंग से बने सामान का करीब तीन करोड़ का सालाना कारोबार हो रहा है। यहां बने सामान देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही विदेशों में भी भेजे जा रहे हैं।

मधुबनी पेंटिंग का लगातार बढ़ रहा दायरा :

दीवारों व आंगन से शुरू मधुबनी पेंटिंग का दायरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पहले कागज, फिर कपड़े और अब विभिन्न घरेलु व व्यक्तिगत उपयोग की चीजों पर भी मधुबनी पेंटिंग अपनी छटा बिखरने लगी है। मधुबनी पेंटिंग आज साडिय़ां, कुर्ते, बेडशीट, पर्दे, महिलाओं व पुरुषों के परिधानों के साथ ही बैग, पर्स, टाई, मिट्टी के बर्तनों, कार्ड, फाइल कवर जैसी उपयोग की चीजों पर भी उकेरी जाने लगी हैं। इन सामान की मांग भी बढऩे लगी है।

सोशल मीडिया से बाजार का हुआ विस्तार :

सोशल मीडिया ने मधुबनी मधुबनी पेंटिंग कलाकारों को एक नया बाजार भी दे दिया है। फेसबुक, वाट््सएप जैसे सोशल साइट पर कलाकार अपने प्रोडक्ट को लोगों के बीच रखते हैं और ऑनलाइन माध्यम से इनकी सप्लाई की जा रही है। कलाकारों को भुगतान भी ऑनलाइन हो जाता है। इससे कलाकार बिचौलियों के चंगुल से भी बच जाते हैं। मधुबनी मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क तो ऑनलाइन मार्केटिंग साइट अमेजन पर भी बिक रहे हैं।

विदेशों में बढ़ रही डिमांड :

मधुबनी पेंटिंग से बने सामान के खरीदार अब विदेशों में भी बढऩे लगे हैं। चीन, फिनलैंड, स्विटजरलैंड, दुबई, अमेरिका, साउथ अमेरिका, जापान, नीदरलैंड समेत अन्य देशों में मधुबनी पेंटिंग वाले सामान की काफी मांग है। इसके अलावा देश के महानगरों में भी इसका बाजार व्यापक हुआ है।

पेशेवर रूप ले रहीा मधुबनी पेंटिंग :

मधुबनी पेंटिंग अब पारंपरिक से पेशेवर हो चुकी है। कई कलाकार इसे पेशे के रूप में अपना चुके हैं और फुल टाइम वर्क कर रहे हैं। लगातार बढ़ रही डिमांड से उनका हौसला बढ़ा है। बड़े आर्डर मिलने पर कलाकार सामूहिक रूप से कार्य करते हैं। जगह-जगह मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण केंद्र चल रहा है जहां बड़ी तादाद में युवा इस कला का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें लड़कियों की संख्या अधिक है।

मधुबनी पेंटिंग ने मधुबनी को दी नई पहचान :

इस लोक कला ने मधुबनी को एक नई पहचान दी है। इस कला के क्षेत्र में अब तक सात महिलाओं को पद्मश्री मिल चुका है। ये सातों मधुबनी जिले की रहने वाली है। मधुबनी पेंटिंग में पद्मश्री पाने वाली महिलाओं में जितवारपुर की जगदंबा देवी (1975), सीता देवी (1981), बौआ देवी (2017), रांटी की महासुंदरी देवी (2011), गोदावरी दत्त (2019), दुलारी देवी (2021) और रसीदपुर की गंगा देवी (1984) शामिल हैं।

इस संबंध में पद्मश्री से सम्मानित मधुबनी पेंटिंग कलाकार बौआ देवी का कहना है कि आज देश समेत विदेशों में मधुबनी पेंटिंग की मांग बढ़ती जा रही है। मधुबनी पेंटिंग से जुड़े कलाकारों के लिए यह नया अवसर है। विदेशों के फैशन के अनुरूप मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देकर इस कला को नया आयाम दिया जा सकता है। जिस तरह से युवा इस कला से जुड़ रहे हैं, विश्वास है कि आने वाले समय में यह कला और सशक्त होगी।

chat bot
आपका साथी