फिर चरखा निर्माण का केंद्र होगा पूसारोड का वैनी, खत्म होगी बाहरी निर्भरता

पूसारोड स्थित लक्ष्मीनारायणपुरी अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति में विनोबा भावे ने 1948 में आश्रम और अंबर चरखा निर्माण केंद्र की नींव रखी थी। इसका उद्देश्य चरखा निर्माण कर खादी उत्पादन को आगे बढ़ाना था। वर्ष 1949 में चरखा बनाने का काम शुरू हुआ।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 08:22 AM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 08:22 AM (IST)
फिर चरखा निर्माण का केंद्र होगा पूसारोड का वैनी, खत्म होगी बाहरी निर्भरता
पूसारोड में बंद पड़ी चरखा बनाने की वर्कशाप। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। पूसारोड का वैनी एक बार फिर चरखा निर्माण का केंद्र होगा। वर्षों से बंद पड़ी वर्कशाप पुनर्जीवित की जाएगी। पिछले महीने सूबे के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने चरखा निर्माण बंद होने पर चिंता जताते हुए दोबारा शुरू करने में रुचि दिखाई है। इसे कौशल विकास योजना से भी जोड़ा जाएगा। 

देखभाल मेें कमी के कारण ठप हो गया निर्माण

पूसारोड स्थित लक्ष्मीनारायणपुरी अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति में विनोबा भावे ने 1948 में आश्रम और अंबर चरखा निर्माण केंद्र की नींव रखी थी। इसका उद्देश्य चरखा निर्माण कर खादी उत्पादन को आगे बढ़ाना था। वर्ष 1949 में चरखा बनाने का काम शुरू हुआ। हर साल एक से डेढ़ हजार चरखे का उत्पादन होता था। इसकी मांग उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दिल्ली तक होती थी। सरकारी उपेक्षा, इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी और देखभाल में लापरवाही के कारण 1995 के बाद निर्माण कम होने लगा। धीरे-धीरे ठप हो गया। अब मशीनें जंग खा रही हैं। समस्तीपुर अनुमंडलीय खादी ग्रामोद्योग समिति के मंत्री धीरेंद्र कार्यी का कहना है कि उन्होंने मंत्री के सामने चरखा निर्माण केंद्र शुरू करने का प्रस्ताव रखा था। उनके निर्देश इसके संचालन को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल्द ही इसे भेज दिया जाएगा। अभी यहां 146 चरखे चल रहे हैं, जिससे सूत की कताई होती है। ये सभी बाहर से मंगाए गए हैं। 

बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ, मातृ संस्था, मुजफ्फरपुर के अध्यक्ष अभय चौधरी बताते हैं कि वे मुजफ्फरपुर, भागलपुर, पूर्णिया, पूसारोड समेत राज्य के हर जिले में स्थापित खादी ग्रामोद्योग परिसर का निरीक्षण व बैठक कर रहे हैं। यहां कितने चरखे चल रहे, उन्हें कहां से लाया गया है और आगे कितनी डिमांड होगी, इसे देखा जा रहा है। पूसारोड में छह और सात तकुआ वाले चरखे के निर्माण की योजना है। इसमें सूती, ऊनी और रेशमी तीनों ही धागों की आसानी से कताई हो सकेगी। 

अभी अहमदाबाद से मंगाए जा रहे चरखे  

मुजफ्फरपुर खादी ग्रामोद्योग संघ के मंत्री वीरेंद्र कुमार का कहना है कि फिलहाल केंद्र में 675 चरखे इस्तेमाल में हैं। जेल में भी 40 चरखे चल रहे हैं। ये एक और आठ तकुआ वाले हैं। हर साल यहां 100 से 150 चरखे की डिमांड होती है, जिन्हें अहमदाबाद से मंगाया जाता है। कीमत 17 से 18 हजार रुपये होती है। पूसा में निर्माण होने पर 12 से 13 हजार में उपलब्ध होगा। बाहरी निर्भरता खत्म होगी।  

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