मुजफ्फरपुर के किसान उपज की लालच में बढ़ाते जा रहे कीटनाशी का उपयोग

सब्जी की खेती में सबसे ज्यादा किया जा रहा रासायनिक कीटनाशी का प्रयोग। एक एकड़ में सात से आठ लीटर का उपयोग कर रहे किसान। मुजफ्फरपुर जिले में 8 से 10 करोड़ रुपये के कीटनाशक का हर साल हो रहा उपयोग।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 02:05 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 02:05 PM (IST)
मुजफ्फरपुर के किसान उपज की लालच में बढ़ाते जा रहे कीटनाशी का उपयोग
कीट के हिसाब से दवा का उपयोग होता है। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र त‍िवारी] । खेती में रासायनिक कीटनाशकों का किसान जमकर उपयोग कर रहे हैं। इसकी बिक्री साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। विभाग की रोक के बाद भी उपज के लालच में कीटनाशी का उपयोग खूब हो रहा है। जानकारी के मुताबिक सब्जी की खेती में 75 फीसदी कीटनाशी व 25 फीसदी लोग जैविक उपयोग करते हैं। पौधा संरक्षण विभाग के संयुक्त सहायक निदेशक राधेश्याम कुमार ने बताया कि जिले में अभी 114 कीटनाशी दवा के विक्रेता हंै। इसके प्रयोग के लिए हर तरह से जागरूकता अभियान चलता है। इधर सब्जी उत्पादक संघ के जिलाध्यक्ष अशोक शर्मा ने बताया कि जिले में हर साल करीब आठ से 10 करोड़ रुपये के कीटनाशक का उपयोग किसान कर रहे हंै। सबसे ज्यादा उपयोग सब्जी की खेती में होता है। इसके बाद आम व लीची के पौधे पर इसका उपयोग किया जाता है। कांटी के किसान सुरेश कुमार ने बताया कि गोभी, बैगन, ङ्क्षभडी, टमाटर पर प्रति एकड़ में दो लेकर आठ लीटर तक कीटनाशी का उपयोग करना पड़ता है। कीट के हिसाब से दवा का उपयोग होता है।

लाइसेंस की गति (विभाग के अनुसार)

साल----लाइसेंस

2019 ------12

2020-----80

2021-----114

सहायक निदेशक (पौधा संरक्षण) राधेश्याम कुमार ने कहा कि कीटनाशी का लाइसेंस लेने वाले को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक जिले में हर माह किस कीटनाशी की कितनी मात्रा की बिक्री है यह आंकड़ा नहीं है। सभी दुकानदारों को हिदायत दी गई है कि वह नवंबर से हर माह अपने स्टाक की रिपोर्ट करें।

कीटनाशी के प्रयोग में इन बातों का रखें ध्यान

- कीटनाशक खरीदने से पहले उसके टिन या डिब्बा की सील अच्छी तरह से जांच लें कि दवा कहीं बाहर तो नहीं निकल रही है। सील टूटी हो या दवा बाहर निकल रही हो तो उसे न खरीदें।

-कीटनाशक की बोतल, डिब्बा या लिफाफा पर उसके इस्तेमाल के आवश्यक निर्देश लिखे होते हैं। उनका पूरी तरह पालन करना चाहिए।

-दवा के टिन या डिब्बा को खोलने के लिए घर में फल या सब्जी काटने वाली चाकू आदि का प्रयोग न करें। डिब्बा को खुले हाथ से खोलने की कोशिश न करें।

-दवा जिस बर्तन में हो, उसी में रहने दें, क्योंकि इससे सुविधा होगी कि इस्तेमाल करते समय दी गई हिदायतों को पढ़ा जा सकता है।

-खेत में दवा का प्रयोग करते समय किसी भी तरह की खाद्य सामग्री का सेवन नहीं करना चााहिए।

-बीड़ी, सिगरेट या पान आदि से भी छिड़काव करते समय परहेज करें।

-दवा के प्रयोग के समय नाक पर कपड़ा बांधना चाहिए ताकि उसका असर सांस नली से शरीर के अंदर न जा सके। ऐसा नहीं करने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।

-दवा के प्रयोग के समय आंख पर चश्मा लगाना चाहिए ताकि उसके प्रभाव से कोई नुकसान न हो।

-दवा के प्रयोग के बाद हाथ, पैर व मुंह अच्छी तरह साबुन से धो लें और संभव हो तो कपड़े भी बदल लें। छोड़े हुए कपड़ों की तुरंत धुलाई करें।

-दवा छिड़काव का काम प्रात: या शाम में ही करें।

- दवा का छिड़काव उस समय न करें जब तेज हवा चल रही हो। इसके अलावा हवा के विपरीत दिशा में भी छिड़काव नहीं करना चाहिए।

-दवा छिड़कने के बाद यंत्र को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें।

-बची हुई दवा को बच्चों और परिवार के सदस्यों से दूर रखें।

-प्रयोग के बाद अगर डिब्बा में दवा बच गई हो तो उसे अच्छी तरह से बंद करके रखना चाहिए। उसे ऐसी जगह रखें जहां बच्चे या जानवर आदि न पहुंच सकें।

- दवा समाप्त होने के बाद टिन या डिब्बा को तोड़कर या नष्ट करके जमीन के अंदर दबा देना चाहिए। 

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