उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा लीची की खेती का दायरा, किसानों को यहां प्रशिक्षण

गोरखपुर मंडल के चार जिलों के 30 कृषि प्रसार प्रबंधकों को आधुनिकतम तकनीक पर दी गई ट्रेनिंग। अनियमित फलन फलों के फटने असमय गिरने से रोकने पर हुई विशेष चर्चा। अगले कुछ महीनों में मेरठ मुरादाबाद तथा बरेली मंडलों के 30-30 किसान या कृषि प्रसार से जुड़े अधिकारी को प्रशिक्षण।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 09:57 AM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 09:57 AM (IST)
उत्तर प्रदेश में बढ़ रहा लीची की खेती का दायरा, किसानों को यहां प्रशिक्षण
केंद्र प्रति बैच 45 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण दिलवाता है।

मुजफ्फरपुर, जासं। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की ओर से उत्तर प्रदेश में लीची की खेती का दायरा बढ़ाने को लेकर अभियान चल रहा है। इसी कड़ी में किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रविवार को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मंडल के चार जिलों के 30 कृषि प्रसार प्रबंधकों को लीची खेती की आधुनिकतम तकनीक पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में मुख्य रूप से प्रखंड तकनीकी प्रबंधक (बीटीएम), सहायक तकनीकी प्रबंधक (एटीएम) तथा प्राविधिक सहायक (टेक्निकल असिस्टेंट) शामिल थे। इनमें कुशीनगर जिले के चार, महराजगंज जिले के आठ, देवरिया जिले के छह तथा गोरखपुर के 10 प्रतिभागी शामिल थे।

प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शेषधर पांडेय ने कहा कि लीची की खेती की आधुनिक तकनीक का उपयोग जानकारी के साथ ही करें। साथ ही दूसरों को तकनीक का ज्ञान देकर लाभ पहुंचाएं। लीची के बाग में केंद्र द्वारा संस्तुत उत्तम कृषि क्रियाओं के माहवार कार्यक्रम का उपयोग करें। उन्होंने लीची के अनियमित फलन, फलों के फटने, असमय गिरने से रोकने पर विशेष चर्चा की। तकनीकी हस्तांतरण प्रभारी डॉ. संजय कुमार ङ्क्षसह ने कहा कि अगले कुछ महीनों में मेरठ, मुरादाबाद तथा बरेली मंडलों के 30-30 किसान या कृषि प्रसार से जुड़े अधिकारी को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

10 हजार किसानों का बनेगा समूह

सीएआरडी यानी कृषि एवं ग्रामीण विकास केंद्र के क्षेत्रीय प्रतिनिधि देवेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि केंद्र प्रति बैच 45 ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण दिलवाता है। प्रशिक्षण लेने के बाद इन्हें 20 लाख तक का ऋण भी मिलता है। जिसमें 36 प्रतिशत तक की सब्सिडी नाबार्ड द्वारा दी जाती है। केंद्र सरकार ने 10 हजार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइ•ोशन यानी एफपीओ बनाने की घोषणा की है। संगठन बनने के बाद एक युवा को तुरंत रोजगार मिल जाता है। लीची के साथ अन्य खेती का प्रशिक्षण लेने आए महाराजगंज फरेंदा के मनोज कुमार तथा आशीष पांडेय, नौतनवा के सर्वेश कुमार गौण, पनियारा के सुभाष चंद्र, पिपराइच के प्रहलाद, देवरिया गौरी बाजार के संतोष कुमार, भागलपुर के सुनील कुमार, कप्तानगंज के राकेश कुमार, संत कबीरनगर मेहदावल के अखिलेश शाही ने कहा कि लीची के साथ कई सब्जियों व अन्य खेती का प्रशिक्षण मिला जो कि बेहतर रहा।

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