समस्तीपुर में फिर गहरा रहा कोरोना संक्रमण का खतरा, रेलवे स्टेशन पर 90 फीसद यात्रियों की नहीं हो ही जांच

देश के कई हिस्सों में अभी कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। वहां से त्योहारों में लोग जिले में आ रहे हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी हैं। रेलवे स्टेशन जांच के लिए टीम की तैनाती कर दी गई है लेकिन सुविधाएं नहीं हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:56 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 08:56 AM (IST)
समस्तीपुर में फिर गहरा रहा कोरोना संक्रमण का खतरा, रेलवे स्टेशन पर 90 फीसद यात्रियों की नहीं हो ही जांच
बस स्टैंड में कोरोना जांच के लिए टीम की नहीं हई तैनाती।

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के पूर्व की गई गलतियां इस समय दोहराई जा रही हैं। बाहर से आने वालों की जांच नहीं हो पा रही है। 90 फीसद लोग बिना जांच कराए घर चले जा रहे हैं। यदि उनमें संक्रमण होगा तो पूरे रास्ते बांटते हुए घर जाएंगे और गांव में भी फैला सकते हैं। इसकी भयावहता की कल्पना भी विभाग नहीं कर पा रहा है। देश के कई हिस्सों में अभी कोरोना संक्रमण फैला हुआ है। वहां से त्योहारों में लोग जिले में आ रहे हैं। संक्रमण की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदम नाकाफी हैं। रेलवे स्टेशन कोरोना जांच के लिए टीम की तैनाती कर दी गई हैं। टीमें मौजूद हैं लेकिन सभी यात्रियों की जांच नहीं हो पा रही है। टीम की मदद के लिए पूर्व में आरपीएफ बल सदस्या की तैनाती की गई थी। लेकिन अब उनकी ड्यूटी नहीं लगाई जा रही है। केवल रेलवे से प्रतिदिन लगभग दो हजार यात्री समस्तीपुर आते हैं। जब ट्रेन आती है तो स्वास्थ्य कर्मी वहां खड़े होकर लोगों को जांच कराने के लिए प्रेरित करते हैं। लेकिन वे सुनते नहीं और चले जाते हैं। जबकि जांच अधिकतम 200 के आसपास ही हो पा रही है। यह तब है जब विभाग दूसरी लहर के पूर्व बरती गई लापरवाहियों की भयावहता देख चुका है।

त्योहारों पर बढ़ रही दिल्ली-मुंबई से आने वालों की संख्या

दीपावली व छठ पर्व के मद्देनजर दिल्ली-मुंबई से लोगों का आना शुरू हो गया है। विदित हो कि इसी साल मार्च में होली पर्व के समय दूसरे प्रदेश से काफी संख्या में लोग पहुंचे थे। उस समय भी स्टेशन पर जांच के लिए टीम लगाए गए थे। जांच की यही स्थिति थी। यहां तक कि जो लोग पाजिटिव मिले, उन्हें भी छोड़ दिया गया। धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ा और अप्रैल में स्थिति भयावह हो गई। अस्पताल फुल हो गए। मरीज तपड़ने लगे। दवाओं का संकट शुरू हो गया। आक्सीजन की कमी सामने आ गई। अनेक लोग अपने स्वजन को मरते देखते रहे। वह वेबस थे। वही गलतियां पुन: दोहराई जा रही हैं।

बस स्टैंड में कोरोना जांच को लेकर अब तक नहीं लगी टीम

शहर में बस से भी बड़ी संख्या में यात्री आते हैं लेकिन वहां कोरोना संक्रमण की जांच के लिए मेडिकल टीम नहीं लगाया गया है। हालांकि, शहर में बस पड़ाव का परिसर भी पूरे तरह से खुला हुआ है। दूसरे प्रदेश से आने वाली बस सड़क किनारे ही यात्री को उतार कर चलते बनते है। बसें सड़क पर सवारी चढ़ाती-उतारती हैं। इसलिए यात्री बस पड़ाव में पहुंच नहीं पाते है। 

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