मुजफ्फरपुर के कटरा में जलस्तर घटने के बाद भी कम नहीं हुई विस्थापितों को समस्याएं

कटरा में बागमती के जलस्तर में मंगलवार को कमी आने से बाढ़ पीड़ितों ने राहत की सांस ली।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 08:10 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 08:10 PM (IST)
मुजफ्फरपुर के कटरा में जलस्तर घटने के बाद भी कम नहीं हुई विस्थापितों को समस्याएं
मुजफ्फरपुर के कटरा में जलस्तर घटने के बाद भी कम नहीं हुई विस्थापितों को समस्याएं

मुजफ्फरपुर। कटरा में बागमती के जलस्तर में मंगलवार को कमी आने से बाढ़ पीड़ितों ने राहत की सांस ली। लेकिन, विस्थापितों के सामने समस्याओं का अंबार लगा है। उनके सामने भोजन, पेयजल से लेकर पशु चारे की किल्लत बरकरार है। सरकारी राहत के नाम पर पालीथिन के सिवा कुछ हासिल नहीं हुआ।

जलस्तर में कमी आने के बाद लोग नए सिरे से गृहस्थी संवारने में जुट गए हैं। हालांकि, बाढ़ का खतरा उन्हें बार-बार सता रहा है। कभी जलस्तर बढ़ जाने से विस्थापन का भय सताने लगता है तो कभी दैनिक उपयोग के सामान की कमी खलने लगती है। बाढ़ के पानी में भविष्य की आजीविका पहले ही बलि चढ़ चुकी है। पहली बार जलस्तर बढ़ने के साथ ही सब्जी, मूंग, मक्के की खेती समाप्त हो चुकी है। धान की खेती का किसानों को अवसर ही नहीं मिला। इन परेशानियों के साथ ही आजीविका की चिंता सताने लगी है।

उधर, निचले इलाके के लोग अभी भी बाढ़ से जूझ रहे हैं। दरगाह, हटबरिया, तेहवारा, गंगेया, अंदामा, चिचरी, भवानीपुर आदि में दर्जनों परिवार बाढ़ से घिरे हैं। बाढ़ पीड़ितों के सहायतार्थ सरकार ने सामुदायिक किचेन चलाने का निर्देश दिया था। लेकिन, महज तीन पंचायतों में ही चंद दिनों तक किचेन चला और बंद कर दिया गया। केवल हटबरिया और दरगाह में किचेन जारी है। यहां के लोगों की घरों में अभी भी पानी है। वहीं कटाई पंचायत में लखनदेई से आए काले पानी में मूंग और धान का बिचड़ा नष्ट हो गया। ग्रामीणों ने सीओ व डीएम को आवेदन देकर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की है।

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