डॉ. शिवदास पांडेय के निधन से एक स्नेहिल युग का गमन

प्रेम भाव के श्रेष्ठ रचनाकार डॉ. शिवदास पांडेय का निधन एक स्नेहिल युग का गमन है। उनके जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे यहां का साहित्य जगत सूना हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 02:03 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 02:03 AM (IST)
डॉ. शिवदास पांडेय के निधन से एक स्नेहिल युग का गमन
डॉ. शिवदास पांडेय के निधन से एक स्नेहिल युग का गमन

मुजफ्फरपुर। प्रेम भाव के श्रेष्ठ रचनाकार डॉ. शिवदास पांडेय का निधन एक स्नेहिल युग का गमन है। उनके जाने से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे यहां का साहित्य जगत सूना हो गया। ये बातें रविवार को वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.शिवदास पांडेय के निधन पर मिठनपुरा स्थित सुधांजलि पहुंचे सूबे के नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने कहीं। उन्होंने कहा कि लोगों ने स्नेह, प्यार व साहित्यिक मार्गदर्शन देने वाले अपने अभिवावक को खोया है । निश्चय ही यह अपूरणीय क्षति है।

पूर्व मंत्री देवेश चंद्र ठाकुर ने उन्हें राज्य के साहित्य जगत का स्तंभ बताया। पूर्व उपमेयर विवेक कुमार ने बताया कि शिवदास पांडेय उनके पिता सुरेश अचल के प्रिय मित्रों में से एक थे। उनकी पूंजी उनका साहित्यिक जीवन व लोगों के प्रति सद्विचार रहा। वे गीत और कविता के शेक्सपियर थे। बताते चलें कि डॉ. शिवदास पांडेय कई सामाजिक व साहित्यिक संगठनों से भी जुड़े रहे। उनके बड़े दामाद डॉ. विकास नारायण उपाध्याय ने बताया कि इधर कुछ दिनों से उनकी तबीयत थोड़ी खराब जरूर रही थी, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं लग रही थी। शनिवार की शाम उन्होंने अपने छोटे दामाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीएन तिवारी और पुत्री की शादी की सालगिरह अपने आवास पर ही मनाई थी।

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.संजय पंकज ने बताया कि अंग्रेजी व हिदी से स्नातकोत्तर करने के साथ ही उन्होंने एलएलबी व पीएचडी भी की। तिलरख, बेगूसराय के प्रखंड विकास पदाधिकारी से अपनी प्रशासनिक यात्रा शुरू करने के बाद कई जगहों पर गए। प्रोन्नति पाकर आइएएस बने। यहां कई वर्षो तक नगर प्रशासक भी रहे। राज्य सरकार में संयुक्त सचिव के पद से वे सेवानिवृत्त हुए। इसके पूर्व वे एक शिक्षक थे। आज भी नेतरहाट स्कूल के छात्र अपने इस अंग्रेजी के शिक्षक को भूले नहीं हैं। उसके पहले समस्तीपुर कॉलेज, समस्तीपुर और मोरंग कॉलेज, विराटनगर में भी अपनी सेवाएं दी। लोगों का कहना है कि यद्यपि वे आज नहीं रहे, मगर इनकी यादों में सदा रचे-बसे रहेंगे। उनकी कालजयी रचनाएं उन्हें अमर कर देंगी।

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