नमो देव्यै महा देव्यै: मरीजों के जख्म पर सेवा का मरहम, असाध्य रोगियों का इलाज कर उनके चेहरे पर ला रहीं मुस्कान

डॉ. सानंदा आयुर्वेद पद्धति से बीमारियों को दे रहीं मात। शहरवासियों की सेवा को विदेश से मिले प्रस्ताव को ठुकराया। वह नाड़ी देखकर बीमारी का पता लगा लेती हैं और उसका इलाज करती हैं। अपने इसी गुण के कारण वह देश एवं विदेश में कई पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 09:32 AM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 09:32 AM (IST)
नमो देव्यै महा देव्यै: मरीजों के जख्म पर सेवा का मरहम, असाध्य रोगियों का इलाज कर उनके चेहरे पर ला रहीं मुस्कान
डॉ. सानंदा ने बिहार और प्रमुखता से मुजफ्फरपुर को अपना कार्य क्षेत्र चुना।

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आयुर्वेद एवं पल्स डायग्नोसिस विशेषज्ञ डॉ. सानंदा सिंह को यूरोप समेत कई देशों से बसने एवं सेवा देने का आमंत्रण मिला। लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और शहर के लोगों की सेवा कर रही हैं। अपनी सेवा से बीमारों के चेहरे पर मुस्कान ला रही हैं। आयुर्वेद चिकित्सा की मदद से बीमारियों को मात दे रही हैं। वह नाड़ी देखकर बीमारी का पता लगा लेती हैं और उसका इलाज करती हैं। अपने इसी गुण के कारण वह देश एवं विदेश में कई पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं। 

बैचलर इन आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस की डिग्री

हरियाणा के विद्या देवी जिंदल स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने वाली डॉ. सानंदा सिंह के पिता व्यवसायी हैं। बचपन में परिजनों से पौराणिक और आयुर्वेद के विषय में रोचक कथाएं सुनकर डॉक्टर सानंदा बेहद रोमांचित हो उठती थीं। माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के पश्चात वह श्रीश्री रविशंकर की ओर से संचालित श्रीश्री कॉलेज ऑफ आयुर्वेदिक साइंस एवं रिसर्च बेंगलुरु से बीएएमएस अर्थात बैचलर इन आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस की डिग्री हासिल की। डॉ. सानंदा बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही आयुर्वेद के प्रति बेहद लगाव था। बीएएमएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने चेन्नई के डॉ. पी. एल. टी. गिरजा, जो कि नाड़ी परीक्षा व आर्थराइटिस के विशेषज्ञ हैं, के मार्गदर्शन में नाड़ी परीक्षा के विषय में ज्ञान व अनुभव प्राप्त किया। जाने-माने आयुर्वेदिक सर्जन डॉ. रविशंकर परवाजे से भी कर्नाटक में डॉ. सानंदा ने ज्ञान प्राप्त किया। वह रोगी की नाड़ी की जांच कर उसके अंदर की प्रकृति और विकृति का पता कर लेती हैं। इसके आधार पर रोगी की जीवन शैली में आवश्यक बदलाव हेतु परामर्श देने का काम करती हैं।

आयुर्वेद के प्रति जागरूकता

श्रीश्री रविशंकर जी द्वारा एक विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत दुनिया के 156 देशों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता तथा इस चिकित्सा पद्धति का विस्तार किया जा रहा है। डॉ. सानंदा के कई सहपाठी विदेशों में इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। डॉ. सानंदा को भी यूरोपीय देशों में इस परियोजना के क्रियान्वयन का अवसर प्राप्त हुआ, किंतु उन्होंने इसे ठुकरा दिया। डॉ. सानंदा के ससुर स्व. विश्वनाथ सिंह मुजफ्फरपुर के जाने-माने समाजसेवी थे। इन्हीं के सेवा भाव से प्रभावित होकर डॉ. सानंदा ने बिहार और प्रमुखता से मुजफ्फरपुर को अपना कार्य क्षेत्र चुना। डॉ. सानंदा की शादी वर्ष 2012 में शहर के समाजसेवी स्वर्गीय विश्वनाथ सिंह के पुत्र अरिंजय राज से हुई थी।

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