शिवहर में फिर उठने लगा अदौरी-खोरीपाकड़ पुल निर्माण का मुद्दा
लोकसभा में मामला उठने के बाद भी बागमती नदी पर पुल का निर्माण नहीं। हर चुनाव में पुल निर्माण का उठता रहा हैं मुद्दा। वायदों की वैतरनी के सहारे नेताओं की नैया होती रही पार पुल के अभाव में जनता अब भी फंसी मंझधार में। मोतिहारी से दूरी होगी कम।
शिवहर, जासं। जिले के पुरनहिया प्रखंड के अदौरी घाट को पूर्वी चंपारण जिले से जोड़ने वाली खोरीपाकड़ में बागमती नदी पर पुल निर्माण की मांग एकबार फिर उठने लगी है। इलाके के लोग एकबार फिर आंदोलन के मूड में है। वैसे इस पुल के निर्माण के लिए दशकों से आंदोलन हो रहा है। संजय संघर्ष सिंह नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दिल्ली में भी धरना दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने पुल का निर्माण होने तक दाढ़ी नहीं कटवाने की शपथ ले रखी है। पुरनहिया के युवा समाजसेवी अनीष झा ने भी लंबे समय तक आंदोलन किया था। पुल निर्माण का मुद्दा लोकसभा में भी उठा था। पिछले चुनाव में भी पुल निर्माण का आश्वासन दिया गया था। लेकिन चुनाव के महीनों बाद भी कोई पहल नहीं की जा सकी है। लिहाजा लोगों में आक्रोश है। वैसे यह पहला मौका नही है। जब लोगों को चुनाव के दौरान आश्वासन की घुट्टी पिलाई गई हो।
चुनाव दर चुनाव वायदों की वैतरनी के सहारे नेताओं की चुनावी नैया तो पार होती रहीं, लेकिन एक अदद पुल? के लिए इलाके के लोग मंझधार में फंसते रहे। आजादी के बाद की ल? अबतक की सबसे बड़ी मांग में से एक है अदौरी-खोरी पाकड़ पुल। इस पुल? के अभाव में शिवहर और सीतामढ़ी की चंपारण से दूरी बढ़ गई है।लोगों को 25 किमी लंबी ल? दूरी तय कर चंपारण ल? जाने की मजबूरी है। अगर इस पुल? का निर्माण हो जाता है तो चंपारण और शिवहर की दूरी ल? काफी कम हो जाएगी। वहीं चार लाख की आबादी को रफ्तार मिलेगा। संपन्न विस चुनाव में कमोबेस सभी प्रत्याशियों ने इस पुल? के निर्माण का आश्वासन दिया था। इसके पूर्व साल 2010 के चुनाव के दौरान में सोनौल सुल्तान में आयोजित चुनावी सभा में भी पुल? निर्माण का वादा किया गया था। लेकिन तस्वीर वही है और लोगों का दर्द वही। साल दर साल पुल? नहीं बनने का जख्म जरूर बढ़ रहा है।