उम्मीदों की फसल गन्ना को काटने में कांप रहे पश्चिम चंपारण के किसानों के हाथ

किसानों की बड़ी चिंता यह भी है कि उनके धान भी नष्ट हो गए। जिन किसानों ने तीसरी और चौथी बार बिचड़ा गिराकर धान की रोपाई की अब सिंचाई के अभाव में वे सुख रहे हैं। गांवों में गन्ना के बड़े-बड़े प्लॉट सुुुुखकर बर्बाद हो गए हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 09:31 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 09:31 AM (IST)
उम्मीदों की फसल गन्ना को काटने में कांप रहे पश्चिम चंपारण के किसानों के हाथ
जिले में 66 हजार एकड़ गन्ना क्षति का विभाग ने सरकार को भेजी रिपोर्ट। फोटो- जागरण

पश्चिम चंपारण, जासं। सूबे में गन्ना उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र चंपारण के किसान आहत हैं। बारिश और बाढ़ के कारण फसल सूखने से उनको भारी क्षति हुई है। उन सूखे गन्ना को खेतों से काटकर हटाने में किसानों के हाथ कांप रहे हैं। रखही पंचायत के कई गांवों में किसानों ने सूखे गन्ना को काटकर सड़कों पर बड़ी-बड़ी ढेर लगा दी है। इस आपदा को किसान ऐतिहासिक क्षति मान रहे हैं। किसान गुरलेज अख्तर, मोहम्मद आमिर, फिरोज अख्तर, इजहार अंसारी, मदन महतो, मुलाजिम अंसारी, अरशद अंसारी, भुआल राम, कलीमुल्लाह, मजीद अंसारी, मुस्लिम अंसारी, कुदुस अंसारी ने बताया कि गन्ना उत्पादन में लागत खर्च को सोचकर हम किसानों की हालत खराब हो रही है। किसानों का घर परिवार पूरे वर्ष कैसे चलेगा? इसकी चिंता सता रही है। उधर विभाग ने जिले में 66 हजार एकड़ गन्ना क्षति की रिपोर्ट सरकार को भेजी है। रखही गांव के इन किसानों ने बताया कि सरकार द्वारा गन्ना की क्षति पूर्ति के लिए घोषणा तो की गई, लेकिन वह कब मिलेगा। इसकी फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।

सिंचाई के अभाव में नष्ट हो रहे बचे हुए धान

किसानों की बड़ी चिंता यह भी है कि उनके धान भी नष्ट हो गए। जिन किसानों ने तीसरी और चौथी बार बिचड़ा गिराकर धान की रोपाई की, अब सिंचाई के अभाव में वे सुख रहे हैं। बुढ़वा, चंपापुर, नन्हकार, मोतिहारी, सिसई समेत क्षेत्र के प्राय: गांवों में गन्ना के बड़े-बड़े प्लॉट सुुुुखकर बर्बाद हो गए हैं। इस क्षेत्र में तो मनियारी नदी की तबाही किसानों की बर्बादी की मुख्य वजह बनी।

संक्षिप्त होगा गन्ना का पेराई सत्र

जिले के चीनी मिलों द्वारा अपने-अपने सुरक्षित के किसानों के नष्ट हुए गन्ना की रिपोर्ट प्रशासन को भेजी गई है। आखिर में विभाग ने भी सरकार को व्यापक रूप से हुई गन्ना क्षति की रिपोर्ट भेजी है। लेकिन किसानों को चिंता है कि उन्हें सरकार की ओर से उत्पादन लागत भी ठीक प्राप्त हो पाता है या नहीं। क्षेत्र में गन्ना की स्थिति देखते हुए इस बार पेराई सत्र भी काफी संक्षिप्त होगा, जिसकी चिंता चीनी मिलों है। कई किसानों ने कहा कि कृषि विभाग को गन्ना किसानों के प्रति गंभीरता और तत्परता से पहल करनी चाहिए।

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