भजन संध्या के अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिखेरी चंपारण के लोक संस्कृति की महक

तीसरा दिन मिथिलांचल से झा सिस्टर्स के नाम रहा इसमें दिल्ली से पायल झा सहरसा से पल्लवी झा एवं चम्पारण मोतिहारी से उनकी छोटी बहन प्रियंका झा ने मैथिली में लोकगायन किया। इस कार्यक्रम में उनका साथ दिया वैकुंवर (कनाडा) से शिखा पोरवाल ने।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 05:28 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 05:28 PM (IST)
भजन संध्या के अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिखेरी चंपारण के लोक संस्कृति की महक
प्रियंका झा ने किया चम्पारण का प्रतिनिधित्व।

मोतिहारी, संस। गाजियाबाद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरप्रसाद शास्त्री ट्रस्ट की ओर से नवरात्र पर वर्चुअल माध्यम से आयोजित अंतरराष्ट्रीय भजन संध्या में देश-विदेश के 36 लोगों ने अलग-अलग भाषाओं में माता के भजन सुनाकर अपनी प्रस्तुति से लोक संस्कृति की महक बिखेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी प्रस्तुति में मिट्टी की सोंधी महक साफ महसूस की गई। सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरप्रसाद शास्त्री की बेटी मशहूर लेखिका मधु शर्मा (न्यूयार्क, अमेरिका) ने अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की। भारत से तृप्ति द्विवेदी मिश्रा (मघ्यप्रदेश), प्रमिला शरद व्यास (राजस्थान ),सुनीता माहेश्वरी (मध्यप्रदेश) एवं प्रियंका भट्ट (राजस्थान) ने नवरात्रि की शुरूआत की। इसमें लोकगीत एवं गरबा गायन किया गया। इसके बाद भारत से लीना झा (मुंबई), वंदना खुराना (लंदन), स्मृति त्रिवेदी (दोहा, कतर), इशिका झा (मुंबई) से मैथिली, संस्कृत, पंजाबी एवं भोजपुरी में माता के भजनों को गाया। 

तीसरा दिन मिथिलांचल से झा सिस्टर्स के नाम रहा, इसमें दिल्ली से पायल झा, सहरसा से पल्लवी झा एवं चम्पारण मोतिहारी से उनकी छोटी बहन प्रियंका झा ने मैथिली में लोकगायन किया। इस कार्यक्रम में उनका साथ दिया वैकुंवर (कनाडा) से शिखा पोरवाल ने जिन्होंने नवरात्रि में कलश की महत्ता एवं अपनी स्वरचित रचना पेश की। मंच संचालिका (चम्पारण) प्रियंका झा ने संस्कृत के श्लोक से किया। उनके साथ वर्जीनिया से मंजू श्रीवास्तव, भारत से डा. मीरा ङ्क्षसह, न्यूयार्क से मधु खरे जुड़ी रहीं। पांचवें दिन लोकगीतों को लेकर पटना बिहार से डा.मीना कुमारी, गुजरात से इप्शिता यतीश, अमेरिका से मधु खरे एवं दोहा कतर से स्मृति त्रिवेदी आई थी। छठे दिन बिहार से अंजू भारती, लंदन से अरूण गुप्ता, पूना से डा. कुसुम ठाकुर एवं शिकागो (अमेरिका) से संगीता ङ्क्षसह ने कश्मीरी, मैथिली, भोजपुरी एवं ङ्क्षहदी में माता के लोकगीत गाये। सातवें दिन प्रवासी भारतीयों के नाम रहा। इसमें न्यूयॉर्क से नरेंद्र कपूर, डा. नीलिमा मदान, बुध जसूजा, ज्योति गुप्ता, राज धींगरा, रमा बहरी, अंजू शर्मा, गौतम चोपड़ा, अमिता कारवाल एवं रेखा विचारा ने पंजाबी अवधी एवं ङ्क्षहदी में माता के लोकगीत गाये। अंतिम दिन की शुरुआत की मंच संचालिका प्रियंका झा (चम्पारण) ने संस्कृत के श्लोकों से की इसमें दिल्ली से ज्योति राहुल उपाध्याय, अमेरिका से मधु खरे, भारत से डा. मीरा ङ्क्षसह, अमेरिका से बुध जसूजा एवं आयोवा (अमेरिका) से डा. श्वेता ङ्क्षसह ने उनका साथ दिया। पंजाबी, ङ्क्षहदी संस्कृत एवं मैथिली भाषा में भजन गाकर माता को नमन किया। मंच संचालिका प्रियंका झा ने प्रतिदिन माता के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया साथ ही नवरात्रि में रंगों का महत्व भी बताया।

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