बगहा के किसान पशुपालन से दूर कर रहे विपन्नता, महिला इसमें आगे
चंद पशुधन के सहारे चला यह कार्य अब काफी आगे बढ़ गया है। जीविका के सूत्रों की माने तो इससे दोन से लेकर प्रखंड के सभी 18 पंचायतों के समूह से जुड़े महिलाओं को लाभ हो रहा है। समय-समय पर प्रशिक्षण व जानकारी इन किसानों को दी जाती है।
बगहा, जासं। खेती से जुड़े लोगों के लिए पशुपालन भी आर्थिक सबलता के लिए एक अच्छा माध्यम है। अब प्रखंड में भी पशुपालन के सहारे आर्थिक समृद्धि लाने का प्रयास चल रहा है। जिसमें महिला किसान अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। इसमें बकरी पालन व गोपालन शामिल है। इस कार्य को जीविका की तरफ से बढाया जा रहा है। जिसमें इन समूहों को आर्थिक सहायता देने का कार्य बैंक कर रहे हैं। इससे दर्जनों महिलाएं जुड़ कर अपनी आर्थिक स्थिति को संभाल रही हैं। साथ हीं घर गृहस्थी में भागीदारी निभा रही हैं। प्रखंड के 22 समूहों में इस कार्य के लिए अभी तक लाखों रुपये का वितरण किया गया है। जिससे महिलाएं बकरी पालन, गाय पालन कर रही हैं। चंद पशुधन के सहारे चला यह कार्य अब काफी आगे बढ़ गया है। जीविका के सूत्रों की माने तो, इससे दोन से लेकर प्रखंड के सभी 18 पंचायतों के समूह से जुड़े महिलाओं को लाभ हो रहा है। समय-समय पर प्रशिक्षण व जानकारी इन किसानों को दी जाती है। जिससे चंद लोगों से शुरू यह कार्य अब कई समूहों में चल रहा है। करीब दो वर्ष पहले जिन महिला कृषकों ने दो बकरी से कार्य शुरू किया था। आज उनके पास आधा दर्जन व एक दर्जन बकरियां हैं। वहीं जिनके पास एक गाय थी। आज उनके पास दो या तीन गाये हैं।
खुशहाल हो रहीं महिला किसान
प्रखंड के मुहई पंचायत की भागनानी देवी, किशनावती देवी, धूपा देवी शिवकली देवी पशुपालन से जुड़े हैं। कहते हैं कि पहले किसी भी कार्य के लिए पति से पैसे मांगने पड़ते थे। आज इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। समय-समय पर घर खर्च में सहयोग किया जाता है। इधर तौलाहा की संगीता देवी, संझरिया देवी, मुन्नी देवी, शोभा देवी का कहना है कि आर्थिक स्थिति में सुधार होने व परिवार को सहयोग देने से हमारी मान प्रतिष्ठा पहले से अधिक बढ़ी है। हम खुद आत्मनिर्भर बन गए हैं। प्रखंड परियोजना प्रबंधक रतनप्रिया ने कहा कि पंचायत के महिलाओं को रोजगार देकर उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ करना ही जीविका का उद्देश्य है। इसमें सफलता भी मिल रही है। कई समूह में पशुपालन का कार्य कर महिला आत्मनिर्भर बन रही है। साथ हीं इनका पशुधन भी बढ़ रहा है। इसके लिए समय-समय पर सलाह व बैंकों से आर्थिक सहयोग कार्य को बढाने के लिए दिलाई जाती है।