हवा में तैर रहा बेतिया जीएमसीएच में रोज चादर बदलने का फरमान

बेतिया। जीएमसीएच अस्पताल के बेड पर नहीं होती सतरंगी चादर की व्यवस्था धुलाई के नाम पर लाखों खर्च

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 05:26 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 05:26 PM (IST)
हवा में तैर रहा बेतिया जीएमसीएच में रोज चादर बदलने का फरमान
हवा में तैर रहा बेतिया जीएमसीएच में रोज चादर बदलने का फरमान

बेतिया, जासं। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल में इलाज कराने आए लोगों को बेहतर सुविधा मिले, इसको लेकर कई योजना बनाई है। लेकिन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के बेड से सतरंगी चादर गायब है। मरीजों के बेड की चादर सप्ताह में प्रत्येक दिन अलग-अलग रंगों की व्यवस्था की है, लेकिन सिस्टम की कुव्यवस्था के कारण इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। यहां इलाज कराने आए मरीजों को अपने घर से ही चादर व तकिया लाना पड़ता है। अगर वे किसी कारणवश अपना चादर-तकिया नहीं लाते है, तो उन्हें बेड पर ऐसे रहकर इलाज कराना पड़ता है। चिकित्सक व कर्मी भी अस्पताल प्रबंधक द्वारा संसाधनों की व्यवस्था नहीं कराने की बात कह व्यवस्था सुधारने में हाथ खड़ा कर दिया हैं। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। इतना ही बिना चादर के बेड पर रहने से मरीजों के संक्रमित होने की संभावनाएं बनी रहती है। यहां बात दें कि दिन के हिसाब से अस्पताल के बेड से चादर बदलने का प्रावधान है। रविवार को बैगनी,सोमवार को नीला, मंगलवार को आसमानी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी व लाल रंग की चादर बिछानी है। दिन व रंगवार कौन कहे, जीएमसीएच में मरीजों के बेड पर किसी दिन चादर नहीं बिछाई जाती है। सतरंगी चादर धुलाई के नाम पर प्रतिमाह 1.43 लाख होता हैं खर्च भले ही जीएमसीएच में इलाज कराने आए मरीजों के बेड पर सतरंगी चादर नहीं बिछाई जाती हो, लेकिन प्रतिमाह चादर धुलाई के नाम भारी-भरखम राशि खर्च की जाती है। आंकड़ों पर गौर किया जाए, तो सतरंगी चादर धुनाई के नाम पर एक माह में 1 लाख 43 हजार 340 रुपये खर्च किया जाता है। इस तरह देखा जाए, अस्पताल में एक साल में केवल सतरंगी चादर धुलाई के नाम पर 17 लाख 20 हजार 80 रुपया राशि खर्च की जा रही है। अब सवाल उठता है कि जब मरीजों के बेड पर चादर ही नहीं बिछाई जाती है, तो इतनी बड़ी रकम कैसे अस्पताल प्रशासन

धुलाई के नाम पर ठेकेदार को भुगतान कर देती है। अगर भुगतान कर रहा है, तो यह एक तरह की बंदरबांट ही कही जा सकती है।

जीएमसीएच, बेतिया के डॉ. श्रीकांत दुबे ने बताया कि जीएमसीएच अस्पताल में फिलहाल चादर की उपलब्धता कम हो गई है। पूर्व में खादी भंडार से चाहर मंगाया जाता था। लेकिन, अब अन्यत्र जगह से चादर का ऑडर किया गया है। चादर आते ही अस्पताल के बेड पर सतरंगी चादर बिछाई जाएगी।

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