Darbhanga News: वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट अपलोड करने की तिथि 31 दिसंबर तक विस्तारित की

Lalit Narayan Mithila University कालेजों का एक्यूएआर 15 दिसंबर तक विवि कार्यालय में समर्पित करने का आदेश कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सभी में कुछ महत्वपूर्ण गुण छिपा रहता है। यह कार्यशाला उसी गुण को जागृत करने के लिए है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 02:40 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 02:40 PM (IST)
Darbhanga News: वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट अपलोड करने की तिथि 31 दिसंबर तक विस्तारित की
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हाल में आयोज‍ि‍त हुआ कार्यक्रम।

दरभंगा, जासं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हाल में वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट (एक्यूएआर) के लिए प्रलेखन प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने की। कहा कि हम सभी में कोई न कोई महत्वपूर्ण गुण छिपा रहता है। यह कार्यशाला उसी छिपे गुण को जागृत करने के लिए आयोजित की गई है। संस्था को खुश करना हो अर्थात उसे जीवंत और गतिशील बनाना है तो नित्य आपको नए रास्तों के निर्माण करना होगा।

नकारात्मक खबरों की परवाह नहीं की जानी चाहिए क्योंकि विरोधियों का संगठन नित्य बड़ा हो रहा है। नैक हमारा मूल्यांकन करता है और हमें सृजन करने के लिए प्रेरित करता है। प्रतिकुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2017 से नैक मूल्यांकन की प्रक्रिया बदल गई है। सभी कालेजों का नैक मूल्यांकन ससमय होना चाहिए। हर वर्ष अपना एक्यूएआर(वार्षिक गुणवत्ता आश्वासन रिपोर्ट) नैक के वेबपोर्टल पर अपलोड करना आवश्यक है। अगर कोई कालेज प्रशासन ऐसा नहीं करेंगे तो भविष्य में वे नैक मूल्यांकन से वंचित रह जाएंगे। नैक ने एक्यूएआर जमा करने की अंतिम तिथि को 31 दिसंबर तक विस्तारित कर दी है। कालेजों को 15 दिसंबर तक एक्यूएआर विवि प्रशासन को समर्पित करना है। कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि अगर विश्वविद्यालयों एवं कालेजों का नैक मूल्यांकन नहीं होगा तो केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा मिलने वाला वित्तीय सहयोग निकट भविष्य में नहीं मिलेगा।

विश्वविद्यालयों और कालेजों की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत

प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में नैक, नयी दिल्ली की डिप्टी एडवाइजर डा. प्रतिभा सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरे देश में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बात हो रही है। इस दिशा में हम सभी को विश्वविद्यालयों एवं कालेजों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सभी विवि और कालेजों को एक्यूएआर हर वर्ष जमा करना अनिवार्य है। वित्त परामर्शी प्रो. कैलाश राम ने कहा कि आज नैक मूल्यांकन की गंभीर आवश्यकता है और यह समय की मांग है। प्रथम सत्र में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. एनके अग्रवाल ने कहा कि पिछले अकादमिक सत्र-2019-20 में विश्वविद्यालय ने एक्यूएआर ससमय पूरा किया था।

गुणवत्ता के मूल्यांकन से संस्थान की बेहतरी होती

मुख्य वक्ता डा. के रमा ने कहा कि अगर संस्थानों के पास कुछ भी न हो तब भी उन्हें अपनी गुणवत्ता का मूल्यांकन कराना चाहिए। इससे प्रतिस्पर्धा की भावना आएगी और प्रतिदिन कुछ बेहतर करने का भाव जागृत होगा। गुणवत्ता के मूल्यांकन से संस्थान की बेहतरी होती है बल्कि विद्यार्थियों की बेहतरी की गुंजाइश बढ़ जाती है। विकास पदाधिकारी प्रो. केके साहू ने एक्यूएआर के सेक्शन 'ए' को किस प्रकार भरा जाए इस विषय पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में संसाधन पुरुष डा. गौरव सिक्का, डा. पारुल बनर्जी, डा. अभिषेक कुमार, डा. मनुराज शर्मा, डा. सारिका पाण्डेय, अमृत झा, डा. गंगेश कुमार झा, डा. सोनी सिंह, लक्ष्मी कुमारी ने भी कार्यशाला में अपने अपने विचार रखे।

तृतीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता वाणिज्य संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो. बीबीएल दास ने की। तृतीय तकनीकी सत्र के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन डा. महेश प्रसाद सिन्हा ने किया। कार्यशाला में हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र साह, दूरस्थ शिक्षा के निदेशक प्रो. अशोक मेहता, लाइब्रेरी के निदेशक दमन कुमार झा, प्रो. अरुण कुमार, गृह विज्ञान विभाग की सह प्राध्यापिका डा. अपराजिता कुमारी, संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. जीवानन्द झा सहित अंगीभूत और संबद्ध कालेजों के प्राचार्य भी मौजूद थे।

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