दाता कंबल शाह के मजार पर सरकारी चादरपोशी की रस्म अदा, नगर निगम की भी हुई चादरपोशी

नगर थानाध्यक्ष ने गद्दीनशीं को सौंपी चादर नहीं शामिल हुए एसएसपी व अन्य अधिकारी। उर्स पर आकर्षण का केंद्र रहने वाली सरकारी चादरपोशी भी लॉकडाउन की भेट चढ़ी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 09:50 AM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 09:50 AM (IST)
दाता कंबल शाह के मजार पर सरकारी चादरपोशी की रस्म अदा, नगर निगम की भी हुई चादरपोशी
दाता कंबल शाह के मजार पर सरकारी चादरपोशी की रस्म अदा, नगर निगम की भी हुई चादरपोशी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। हजरत दाता असगर अली खान उर्फ दाता कंबल शाह का सालाना उर्स की उमंग भी कोरोना वायरस की भेंट चढ़ी। उर्स पर आकर्षण का केंद्र रहने वाली सरकारी चादरपोशी भी लॉकडाउन की भेट चढ़ी। इसकी औपचारिक रस्म अदा की गई। नगर थानाध्यक्ष ओम प्रकाश पुलिस बल के साथ आकर सरकारी चादर मजार के गद्दीनशीं मौलाना निजामुद्दीन रजा खां को सौंपी। गद्दीनशीं ने इसे मजार पर चढ़ाया। काजी मोहम्मदपुर व मिठनपुरा थाना प्रभारी के अलावा जिला शांति समिति सदस्य तनवीर आलम, डॉ.एम.राजू नैयर, रेयाज अंसारी, मो. चांद, मो. इकबाल आदि ने कोरोना वायरस के कहर से हिंदुस्तान व पूरे देश की सलामती की दुआ की।

मेयर के नेतृत्व में निकला चादर जलूस, शामिल हुए मेयर-उप मेयर

नगर निगम की ओर से भी चादरपोशी की रस्म अदा की गई। निगम के कर्मियों ने भी गद्दीनशीं को चादर सौंपी। इससे पहले नगर निगम से मेयर सुरेश कुमार, उप मेयर मानमर्दन शुक्ला आदि ने चादर जुलूस को रवाना किया।

एसएसपी के नेतृत्व में चादरपोशी की है परंपरा

हर वर्ष नगर थाने से एसएसपी के नेतृत्व में गाजे-बाजे संग चादर जुलूस निकाला जाता रहा है। इसमें जिलाधिकारी के साथ ही प्रशासन व पुलिस के कई वरीय अधिकारी शामिल होते रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर मजार बंद करने के सरकारी आदेश से इस बार चादर जुलूस की रौनक खत्म हो गई। पुलिस-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा चादर लेकर मजार पर पहुंचने के दृश्य को देखने की हसरत इस बार पूरी नहीं हो सकी। इससे पहले नगर निगम एवं जेल प्रशासन ने भी चादर गद्दीनशीं को सौंपी।

1903 में शुरू हुई सरकारी चादरपोशी की परंपरा

मान्यता है कि एक बार दाता शाह नगर थाने के पास सड़क पर पेशाब कर रहे थे। उसी समय अंग्रेज लार्ड की सवारी आ गई। लार्ड ने दाता पर कोड़े चलाए, मगर उसका हाथ हवा में ही उठा रह गया। बाद में दाता ने सरकारी कुत्ते-विदेशी डॉग कहते हुए कहा कि अपने देश की हिफाजत कर नहीं सकते, हमारे देश पर हुकूमत करने आए हो। उनके यह कहने पर कि इंग्लैंड सचिवालय में लगी भीषण आग को मैं पेशाब से बुझा रहा हूं।

दाता के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति

लार्ड ने जब अपने वतन संपर्क साधा तो उसे बताया गया कि भीषण आग को पानी की मोटी धार घूम-घूम कर बुझा रही है। पानी कहां से आ रहा है, इसका पता नहीं चल रहा है। इतना ही नहीं बाद में दाता के आशीर्वाद से उसे संतान रत्न की भी प्राप्ति हुई। इसके बाद लार्ड दंपत्ति दाता के मुरीद हो गए। 1903 में दाता के इंतकाल के बाद चेहल्लुम के मौके पर अंग्रेज दंपत्ति ने चादरपोशी की। इसके बाद से यह अनिवार्य कर दिया गया कि जो भी जिले का एसपी होगा, उसकी ओर से उर्स के मौके पर चादरपोशी की जाएगी। उस समय इसके लिए सरकारी फंड से 80 रुपये तय किए गए।  

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