West Champaran News: देश प्रेमियों के साथ अंग्रेजों ने बेति‍या के रमना में खेली थी खून की होली

West Champaran News बेतिया का रमना के शहीद पार्क में स्थापित आठ वीर सपूतों की प्रतिमा स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ी गवाही के रूप में एक नए पीढ़ी को देशप्रेम का संदेश दे रही है। पंडित प्रजापति की गिरफ्तारी के बाद दौड़ गई थी क्रांति की लहर।

By Murari KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 04:30 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 04:30 PM (IST)
West Champaran News: देश प्रेमियों के साथ अंग्रेजों ने बेति‍या के रमना में खेली थी खून की होली
पश्‍च‍िम चंपारण। बेतिया का रमनााका शहीद पार्क

बेतिया, (पश्‍च‍िम चंपारण), जासं। बेतिया का रमना के शहीद पार्क में स्थापित आठ वीर सपूतों की प्रतिमा स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ी गवाही के रूप में एक नए पीढ़ी को देशप्रेम का संदेश दे रही है। यहां इस ऐतिहासिक स्थल पर गोरी हुकूमत ने देश प्रेमियों के साथ जबरदस्त खून की होली खेली। देखते देखते चंपारण के आठ वीर सपूत देश के नाम पर शहीद हो गए। यहां सरकार ने स्मारक जरूर बना दिया है। लेकिन नई पीढ़ी को देशभक्तों के बलिदान की गाथा बताने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना चाहिए।

 स्वतंत्रता, गणतंत्र दिवस व अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर प्रशासन व अन्य लोग शहीदों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने  जरूर आते है। लेकिन बाकी दिनों यहां सन्नाटा पसरा रहता है। आलम यह है कि असामाजिक तत्व यहां रात में आराम फरमाते है। सिगरेट के टुकड़े व गुटखा के पाउच परिसर में छोड़ जाते है। जबकि देशभिक्त की दरकार यह है  कि इनके यहां शहीदों के नाम भव्य संग्रहालय बनाया जाना चाहिए।

 अब हम बात उन दिनों की है जब महात्मा गांधी ने 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ों आंदोलन का शंखनाद किया था। चंपारण में भी क्रांति की लहर दौड़ गई। जवाब में अंग्रेजों ने भी दमन चक्र चलाया। 9 अगस्त को स्थानीय नेता पंडित प्रजापति मिश्र को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। पूरे चंपारण में अगस्त क्रांति की लहर दौड़ गई। सरकारी कार्यालयों पर देशभक्त तिरंगा फहराने लगे। कुछ वीरों ने थानों व अदालतों पर झंडा फहराने का प्रयास करना शुरू कर दिया।

 इसी बीच खबर फैली कि क्रांति को दबाने के लिए लंदन से स्पेशल सेना आ रही है। फिर क्या था देश के दीवानों ने बेतिया पहुंचने वाले सभी रेलमार्ग तथा दूसरी सड़कों को काटकर शहर का संबंध विच्छेद कर दिया। इस घटना के बाद अंग्रेज हुकूमत ने सभी कांग्रेसी नेताओं को जेल में डाल दिया। क्रांति की कमान कमजोर हाथों में आ गई। एक सप्ताह आंदोलन चलाने के बाद क्रांतिकारियों का सम्मेलन हुआ। इसमें फैसला हुआ 24 अगस्त को आंदोलन का पाक्षिक समारोह आयोजित किया जाएं। इसी दिन सभा व जुलूस निकालने का निश्चय किया जाए। आंदोलन को दबाने के लिए तिरहुत डिविजन का पुलिस कमिश्नर पेक पुलिस बल के साथ बेतिया आ धमका।

 योजना के अनुसार 24 अगस्त की सुबह मीना के बाजार के राज स्कूल के परिसर से जुलूस निकाली गई। देशभक्ति का गाना गाते व तिरंगा लहराते देशभक्तों की टोली रमना के पास पहुंची। तभी वहां पहले से तैनात गोरी हुकूमत  की पुलिस ने गोली चलानी शुरू कर दी। देखते देखते रामेश्वर मिश्र, गणेश राव, गणेश राय, भागवत उपाध्याय, जग्रन्नाथपुरी, फौजदार अहीर, तुलसी राउत, भिखारी कोइरी शहीद हो गए। जबकि दर्जनों जख्मी हो गए। इस घटना की चश्मदीद गवाह शोभा श्रीवास्तव बताती है कि गज नं 2 से राज स्कूल का सटे होने के कारण उनके पति कौतूहलवश सभा व जुलूस में शामिल हुए थे। उनकी आंखों के सामने अंग्रेजों ने देशभक्तों से खून की होली खेली थी। इसके लिए उन्होंने स्कूली जीवन में डायरी में इसे अंकित भी किया था। 

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