मुजफ्फरपुर के इस युवा नेता की उपलब्धि कई लोगों को नहीं पच रही

हाल ही में उनको रेल विभाग ने एक ओहदा दिया है। सरकारी पार्टी के नेता इस ओहदा को पाने के लिए लालायित रहते हंै। इसलिए युवा नेता को यह ओहदा मिलने पर सभी उनकी सराहना कर रहे हंै।बधाई दे रहे हंै। कई ऐसे भी हैं जिनको यह पच नहीं रहा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 12:55 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 12:55 PM (IST)
मुजफ्फरपुर के इस युवा नेता की उपलब्धि कई लोगों को नहीं पच रही
युवा नेता विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के युवा इकाई के पद धारक हैं।

मुजफ्फरपुर, प्रमोद कुमार। युवा नेता की बड़ी उपलब्धि कई लोगों को नहीं पच रही है। सालों राजनीति करने के बाद भी जो प्रतिष्ठा जिले के नेताओं को नहीं मिली वह युवा नेता ने हासिल कर ली। युवा नेता विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के युवा इकाई के पद धारक हैं। छात्र जीवन से ही राजनीति कर रहे हैं। इन दिनों युवाओं की राजनीति कर रहे हैं। हाल ही में उनको रेल विभाग ने एक ओहदा दिया है। सरकारी पार्टी के नेता इस ओहदा को पाने के लिए लालायित रहते हंै। इसलिए युवा नेता को यह ओहदा मिलने पर सभी उनकी सराहना कर रहे हंै। घर पहुंचकर उनको बधाई दे रहे हंै। उनमें कई ऐसे भी हैं जिनको यह पच नहीं रहा, लेकिन अनुशासित पार्टी के होने के कारण अपनी भावना को दबाए बैठे हंै। जहां कोई बहुत अपना मिलता है बक दे रहे हंै, लेकिन खुलकर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैैं। 

युवा दिल निराश, ठिकाने की तलाश

कोरोना माई ने न सिर्फ पढ़ाई-लिखाई एवं अर्थ-व्यापार को प्रभावित किया बल्कि युवा दिलों को भी निराश किया। उनपर ऐसा पहरा लगा दिया कि उनकी धड़कनें रुक गईं। कोरोना माई के पैदा होने से पहले कॉलेज-कोङ्क्षचग और पार्क-रेस्तरां युवा दिलों के संगम स्थल थे। वहां वह मिलकर प्रेमालाप करते थे। साथ जीने-मरने की कसमें खाते थे, लेकिन कोरोना माई के कोप से कॉलेज-कोङ्क्षचग एवं पार्क-रेस्तरां बंद हंै। बाजार खुलने के बाद भी उनका संगम स्थल बंद है। इससे वे निराश हंै। मिलने का ठिकाना तलाश रहे हंै। रोजाना पार्क एवं रेस्तरां के खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। न कॉलेज खुल रहा है और न ही पार्क। कब खुलेगा यह भी पता नहीं। कोरोना अभी उनकी राह में रोड़ा बना रहेगा, इससे दुखी हैैं।

खलनायकी के बादशाह का इन दिनों हृदय परिवर्तन हो गया है। वे अश्लीलता के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हंै। इंटरनेट मीडिया पर अपनी आवाज लोगों तक पहुंचा रहे हैं। अश्लीलता पैदा करने वालों को पर्दे के सामने ला रहे हंै। खलनायकी के बादशाह सरकारी मुलाजिम हैं। शहर के रहने वाले हंै। भोजपुरी सिनेमा में खलनायक का चरित्र निभाने के लिए पहचाने जाते हैं। इन दिनों वह नाराज हैं। लोग भोजपुरी फिल्मों पर अश्लीलता फैलाने का आरोप लगाते हंै। पर्दे पर खलनायक का चरित्र निभाने वाले कलाकारों पर कमेंट करते हंै। खलनायकी के बादशाह ने भोजपुरी सिनेमा के सुधारकों को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि पर्दे के पीछे से जिनके इशारे पर यह सब होता है उस पर सवाल क्यों नहीं किया जाता? उनको इसके लिए दोषी क्यों नहीं माना जाता है? उनका यह विचार इंटरनेट मीडिया पर चर्चा में है। अश्लीलता के खिलाफ खलनायक का प्रहार सबको भा रहा है।

पढ़ाई-लिखाई का शौक, शहर की बाला बना रहीं रिकार्ड

समय बदला है। समय के साथ समाज में भी बदलाव आया है। जीने के तौर-तरीके भी बदले हैैं। अब किताब-कापी की जगह पठन-पाठन का हिस्सा मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट ने ले लिया है। किताब से लोग अब दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में शहर की एक बाला का पुस्तक प्रेम उनको लोकप्रियता दिला रहा है। पुस्तक पढ़ाई और लिखाई में वह रिकार्ड बना रही हैं। वह भी इंडिया एवं एशिया स्तर का। शहर की बाला ने एक पुस्तक लिखी है, जिसके कारण उन्हें यह लोकप्रियता मिली है। वह लिखाई-पढ़ाई के साथ-साथ अपनी सेवा भावना के लिए भी जानी जाती हैं। लोगों की सेवा के लिए एक संगठन के माध्यम से हमेशा सक्रिय रहती हैं। अपने शौक को वह इंटरनेट मीडिया पर शेयर करती हंै ताकि लोगों में भी यह शौक ङ्क्षजदा रहे। अपनी उपलब्धियों को भी वह शेयर करती हैं।  

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