टीईटी-एसटीईटी शिक्षकों ने केंद्रीय वेतनमान की तरह ही वेतन देने की उठाई मांग, रखी यह शर्त

खुदीराम बोस स्मारक के पास एकत्र हुए शिक्षक। लगाया आरोप सरकार शिक्षकों को उनके हक से वंचित कर रही है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 10:51 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 11:37 AM (IST)
टीईटी-एसटीईटी शिक्षकों ने केंद्रीय वेतनमान की तरह ही वेतन देने की उठाई मांग, रखी यह शर्त
टीईटी-एसटीईटी शिक्षकों ने केंद्रीय वेतनमान की तरह ही वेतन देने की उठाई मांग, रखी यह शर्त

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पदयात्रा की अनुमति नहीं मिलने पर नियोजित शिक्षकों ने खुदीराम बोस स्मारक के पास एकत्र होकर सरकार के समक्ष 17 सूत्री मांगें रखीं। टीईटी-एसटीईटी शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी विवेक कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार जनता होती है। उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर सदन में भेजती है। प्रतिनिधि कानून बनाते हैं और प्रशासन उसे लागू करता है। लेकिन, इधर सरकार जनता शिक्षकों के हक से वंचित कर रही है। पदयात्रा की अनुमति नहीं मिलने से शिक्षकों का आक्रोश प्रशासन के प्रति बढ़ता जा रहा है। सांसद, विधायक अपना भत्ता व पेंशन बढ़ा रहे हैं, वहीं बच्चों को शिक्षा देने वाले शिक्षकों का वेतन काटा जा रहा है। 

टीईटी-एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट रसोइया, किसान सलाहकार आदि को चुनाव के वक्त तिल के बराबर बढ़ाए गए वेतन पर कड़ी आपत्ति दर्ज की गई। उन्होंने केंद्रीय वेतन के आधार पर वेतन तय करने की मांग की। मौके पर जिलाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार, जिला उपाध्यक्ष दिलीप कुमार, जिला कोषाध्यक्ष अरविंद कुमार, प्रखंड के मनोज कुमार, मनोहर कुमार, प्रेमचंद्र कुमार, श्याम कुमार मेहता, वीरेंद्र कुमार, कृष्ण कुमार कर्ण, रमन कुमार दास, यशपाल कुमार, विकास कुमार, जयनारायण साह, जीतेंद्र कुमार, शमीम अंसारी, अभिषेक कुमार, अमित कुमार, महेंद्र कुमार, मनोज कुमार आदि थे।  

गौरतलब है कि बिहार के नियोजित शिक्षक अब आंदोलन के पर्याय बन गए हैं। उन्हें अपने हर एक हक के लिए संघर्ष का सहारा लेना पड़ रहा है। एसटीईटी व टीईटी  िशिक्षकों की स्थिति भी इससे कुछ अलग नहीं है। हाल में सरकार की ओर से  कुछ सेवा शर्तों की घोषणा की गई। इसमें वेतन बढ़ाने से लेकर ईपीएफओ से जोड़ने तक की घोषणा की गई। हालांकि शिक्षक इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे इसे अपने साथ छल मान रहे हैं। चुनावी वर्ष होने के कारण 2020 के शुरू से ही शिक्षक आंदोलन की राह पर हैं। बीच में कोरोना के कारण अांदोलन की धार कुछ कुंद  पड़ गई थी लेकिन, एक बार फिर से शिक्षक आंदोलन की राह पर आ गए हैं। वैसे अभी संक्रमण के कारण पढ़ाई नहीं हो रही लेकिन, जब पढ़ाई का क्रम शुरू होगा तो फिर इसका असर पर स्पष्ट रूप से शिक्षा पर पड़ने की आशंका है। 

chat bot
आपका साथी