Tantra Ke Gan: समस्तीपुर के डॉ. सुशांत ने खुद को बनाया ढाल, बीमारियां हो गईं निढाल
Tantra Ke Ganसमस्तीपुर के डॉ. सुशांत ने लॉकडाउन में पांच सौ से ज्यादा मरीजों का किया इलाज। खुद हुए कोरोना संक्रमित स्थिति गंभीर होने के चलते दो महीने चला इलाज। 47 वर्षीय सर्जन डॉ. सुशांत ने हिम्मत दिखाई। इस संकल्प के साथ कि उनका पेशा ही बीमारियों से लडऩा है।
समस्तीपुर, [मुकेश कुमार]। Tantra Ke Gan: कोरोना संक्रमण के भय से हर ओर सन्नाटा और खामोशी। लोगों की आंखों में अनजान बीमारी का खौफ। बीमारी से ज्यादा इलाज की चिंता...। मार्च, 2020 के आखिरी सप्ताह में लॉकडाउन की घोषणा होते ही समस्तीपुर के तमाम निजी अस्पतालों के शटर डाउन हो गए थे। इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ही आखिरी उम्मीद थे। उसमें भी कोविड वार्ड बनाए जाने और संक्रमण की आशंका के चलते लोग जाने से परहेज कर रहे थे। ऐसे में 47 वर्षीय सर्जन डॉ. सुशांत ने हिम्मत दिखाई। इस संकल्प के साथ कि उनका पेशा ही बीमारियों से लडऩा है। उन्होंने बीमारियों के सामने खुद को ढाल के रूप में प्रस्तुत किया।
प्रभावी गाइडलाइन को मानक बनाया
डॉ. सुशांत ने लॉकडाउन के दौरान गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों के इलाज का फैसला लिया। इसके लिए जिला प्रशासन से बात की और प्रभावी गाइडलाइन को मानक बनाया। इसका पालन करते हुए इलाज में जुट गए। इस दौर में उन्होंने उसी से पैसे लिए जो सक्षम थे। मई के अंत तक उन्होंने 500 मरीजों का इलाज किया था। उन दिनों जिले में कोरोना संक्रमित मिलने लगे थे। जून के पहले सप्ताह में वे खुद पॉजिटिव हो गए। उनकी हालत बिगड़ गई। जुलाई के अंत तक वे गंभीर अवस्था में रहे। उनके स्वस्थ होने के लिए मंदिर व घर में पूजा-पाठ का दौर भी चल पड़ा। मरीज भी दुआ-मन्नत मांगने लगे।
नहीं हारी हिम्मत, साथी चिकित्सकों ने किया इलाज
उनके संक्रमित होने की जानकारी साथी चिकित्सकों को हुई। डॉ. सोमेंदु मुखर्जी, डॉ. ब्रजेश, डॉ. संजीव, डॉ. आभाष व डॉ. सुशील ने फोन पर संपर्क किया। इनकी निगरानी में इलाज होने लगा। ये लोग दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक अजीत ठाकुर से भी सलाह लेते रहे। जुलाई में उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आई। अगस्त से ये फिर लोगों की सेवा में हाजिर हो गए। इस बार पीपीई किट, हैंड ग्लव्स, फेस शील्ड और अन्य जरूरी सुरक्षा मानकों को अपनाकर इलाज जारी रखा।
मरीजों व घरवालों की कराई जांच
डॉ. सुशांत के संक्रमित होते ही उन्होंने घर वालों व कुछ मरीजों को कोविड जांच कराने की सलाह दी। सभी की जांच हुई तो रिपोर्ट निगेटिव रही। लॉकडाउन में उनसे इलाज कराने पहुंचे उजियारपुर के शंकर प्रसाद का कहना है कि डॉक्टर साहब ने पैसे नहीं लिए थे। दवा भी अपने पास से दी थी। कठिन समय में उन्होंने सैकड़ों मरीजों की जान बचाई।