पश्चिम चंपारण में अधिक बारिश व हवा से गिरते गन्ना, उत्पादन में 30 फीसद उठानी पड़ती क्षति

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आरपी सिंह ने बताया कि अगस्त- सितंबर महीने में गन्ना गिरने की अधिक संभावना होती है। जिस प्रकार जून-जुलाई में गन्ने पर मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है। उसी तरह गन्ने की बंधायी भी होनी चाहिए। इससे गन्ने की उत्पादकता एवं चीनी की रिकवरी में बढ़ोतरी होती है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 30 Aug 2021 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 11:48 AM (IST)
पश्चिम चंपारण में अधिक बारिश व हवा से गिरते गन्ना, उत्पादन में 30 फीसद उठानी पड़ती क्षति
कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज ने गन्ना बचाने के लिए चलाया अभियान। फोटो- जागरण

पश्चिम चंपारण, जासं। किसानों को उपज का समुचित लाभ लेने के लिए गन्ना को गिरने से बचाने की जरूरत है। ऐसे वक्त में गन्ना की बंधायी कर किसान अपनी उपज का समुचित लाभ ले सकेंगे। तेज हवाओं के साथ बारिश में गन्ना गिरने से होने वाले नुकसान से राहत मिलेगी। गन्ना के हब चंपारण में फसल की सुरक्षा के लिए कृषि विज्ञान केंद्र नरकटियागंज ने अभियान चलाया है। जिस गन्ने की बढ़वार अधिक हो गई है, वह बंधायी ना करने से गिर रहा है। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ आरपी सिंह ने बताया कि अगस्त- सितंबर महीने में गन्ना गिरने की अधिक संभावना होती है। जिस प्रकार जून-जुलाई में गन्ने पर मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है। उसी तरह गन्ने की बंधायी भी होनी चाहिए। इससे गन्ने की उत्पादकता एवं चीनी की रिकवरी में बढ़ोतरी होती है। इस फसल की बढ़वार 80 फीसद से अधिक वर्षा के मौसम में ही होती है। इस समय गन्ने की अच्छी फसल 2 से 2.5 मीटर तक लंबाई प्राप्त कर लेती है और ऐसे समय में उसे गिरने की संभावना बढ़ जाती है। फसल गिरने से उसकी बढ़वार रुक जाता है।

गिरे हुए गन्ना के गुड़ की गुणवत्ता होती प्रभावित

गिरे हुए गन्ने से 0.5 से 1.5 फीसद रिकवरी रेट कम हो जाता है, जो किसान और चीनी मिल दोनों के लिए नुकसानदेेह है। गन्ना गिरने से पौधे की दैहिक क्रिया जैसे प्रकाश संश्लेषण, वाष्पोत्सर्जन, पोषण अवशोषण, पोषण ट्रांसलोकेशन, स्वसन क्रियाएं बाधित हो जाती हैं। जिसके कारण 25 से 30 फीसद तक उत्पादन कम हो जाता है। गिरी हुई फसलों में चूहों का प्रकोप, अत्यधिक कीटों का प्रकोप तथा रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। साथ ही साथ कीटों एवं रोगों के फलने-फूलने के लिए माध्यम मिल जाता है। गिरे हुई फसल से गुड़ बनाने में गुड़ की गुणवत्ता खराब हो जाती है। चीनी परता (रिकवरी) कम मिलता है। फसल को कटाई करने में अत्यधिक कठिनाई होती है। अधिक संख्या में मजदूर लगते हैं तथा लागत बढ़ जाती है। साथ ही साथ टेढ़े-मेढ़े गन्ना होने होने के कारण किसानों को ट्राली में भरने में परेशानी होती है।

कैंचीनुमा विधि से करें गन्ने की दूसरी बंधायी

गन्ना किसानों को इस नुकसान एवं समस्याओं से बचने के लिए अगस्त एवं सितंबर माह में गन्ने की बंधायी का कार्य अवश्य करना चाहिए। गन्ने की बंधायी में निचले हिस्से की सूखी पत्तियों का उपयोग करना चाहिए । प्रथम बंधायी 150 से 180 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर एवं दो से तीन स्थानों को आपस में मिलाकर करना चाहिए। गन्ने में दूसरी बंधायी सितंबर के पहले सप्ताह में कैंचीनुमा विधि से तिरछी दशा में होनी चाहिए। कैंचीनुमा बंधायी करने से खेत में तेज हवा आसानी से पास हो जाती है। गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बुआई हमेशा पूर्व से पश्चिम दिशा में ही करना चाहिए। गन्ने में मिट्टी चढ़ाना एवं जल निकासी पर विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए । 

chat bot
आपका साथी