जलभराव वाले क्षेत्र में भी अब लहलहाएगी गन्ने की फसल

क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, माधोपुर के वैज्ञानिकों ने विकसित की राजेंद्र गन्ना एक प्रजाति। शर्करा की मात्रा भरपूर, रोग और कीट का प्रकोप भी कम, जल्द उपलब्ध होगा बीज।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 10:20 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 10:00 AM (IST)
जलभराव वाले क्षेत्र में भी अब लहलहाएगी गन्ने की फसल
जलभराव वाले क्षेत्र में भी अब लहलहाएगी गन्ने की फसल

पश्चिम चंपारण,  [शशि कुमार मिश्र]। क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, माधोपुर ने गन्ने की नई प्रजाति विकसित की है। इससे जलभराव वाले क्षेत्र में भी भरपूर फसल होगी। अन्य प्रजाति में जहां शर्करा की मात्रा 11 से 12 फीसद होती है, वहीं इसमें 18.17 फीसद है। शर्करा की यह मात्रा देश के किसी भी कृषि अनुसंधान केंद्र से विकसित गन्ने से अधिक है। इस प्रजाति को विश्वविद्यालय की रिसर्च काउंसिल ने अनुशंसित कर दिया है। इसे अब राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों की कमेटी को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। इसके बाद बीज किसानों के लिए उपलब्ध होगा।

 डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा से जुड़े क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, माधोपुर ने गन्ने की जो प्रजाति विकसित की है, उसका नाम है 'राजेंद्र गन्ना एक मोरहनÓ। इसमें फसल की उपज 111.60 टन प्रति हेक्टेयर है। जबकि अन्य गन्ने की फसल की उपज 60.70 टन प्रति हेक्टेयर है। इसी प्रजाति के खूटी से अगर किसान गन्ने की बोवाई करते हैं तो उपज 78.40 टन प्रति हेक्टेयर होगी।

 कोयंबटूर की दो प्रजातियों को कराया गया क्रास : राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की देखरेख में इस प्रजाति को क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र माधोपुर में विकसित किया गया। इसे कोयंबटूर की प्रजाति सीओ एसी 92423 और सीओ 1148 के साथ क्रास कराया गया। केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. अजित कुमार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कहना है कि राजेंद्र गन्ना एक में शर्करा की मात्रा सर्वाधिक है।

 दो फीट तक जल वाले क्षेत्र में भी पैदावार हो सकती है। इसे सेंट्रल वैरायटी रिलीज कमेटी से स्वीकृत होने के बाद किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। वह कहते हैं, अनुसंधान के दौरान इस गन्ने की प्रजाति पर रोग का असर बहुत कम हुआ। कीट का भी प्रकोप कम है। इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। उपज और शर्करा की मात्रा अधिक होने से यह गन्ना मिलों के साथ किसानों के लिए बेहतर है। इस गन्ने से छिलका हटाने में भी आसानी है।

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