मुजफ्फरपुर से उपहार में दही लेकर विदा होते थे सुब्बाराव, 2019 में रही अंतिम यात्रा
Muzaffarpur News मिट्टी के बर्तन में दही जमाकर उपहार दिया जाता तो खुश होकर साथ ले जाते थे। 1993 से मुजफ्फरपुर से जुड़ा एसएन सुब्बाराव का रिश्ता उनकी 2019 में रही अंतिम यात्रा अंतिम संस्कार के लिए सवा किलो आम की लकड़ी लेकर टोली रवाना।
मुजफ्फरपुर, {अमरेंद्र तिवारी}। राष्ट्रीय युवा योजना के संस्थापक महान गांधीवादी एसएन सुब्बाराव का मुजफ्फरपुर से गहरा लगाव था। बिहार की यात्रा पर जब भी आए तो उनके केंद्र बिंदु में यह शहर रहता था। उनके साथ भारत भ्रमण करने वाले युवा गांधीवादी चिंतक प्रभात कुमार के आवास पर उनका रहना होता था। यहां से जब वह विदा होते तो उनको नदिया यानी मिट्टी के बर्तन में दही जमाकर दिया जाता था। वह उसे अपने साथ ले जाते थे। यह बिहार से उनको उपहार स्वरूप दिया जाता। उनके निधन के बाद प्रभात कुमार के घर के सदस्य मायूस हैैं। साथ ही शहर में उनको लेकर सर्वधर्म प्रार्थना का आयोजन व शोक की लहर है। प्रो.अरुण कुमार के नेतृत्व में युवाओंं की टोली सवा किलो आम की लकड़ी लेकर अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रवाना हुई है। टोली में प्रभात कुमार, मुकेशचंद्र झा, विनय कुमार प्रशांत व केशव पांडेय हैं।
सुबह व्यायाम के बाद दही-चूड़़ा का उठाते आनंद
मझौलिया आदर्शनगर निवासी प्रभात कुमार ने बताया कि राव से उनका जुड़ाव 1993 में हुआ। उस समय वह आरडीएस कालेज के छात्र थे। 2019 में उनके आवास पर ठहरे थे। पुराने दिनों की याद कर वह भावुक हो जाते हंै। बताया कि अंतिम प्रवास के दौरान उनकी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं था। सुबह पांच बजे के आसपास जागने के बाद नित्य क्रिया और फिर व्यायाम, प्राणायाम उसके बाद अखबार पढऩे में जुट जाते। उनके नाम कोई पत्र आया तो उसका जवाब देना और जरूरी बातचीत करना। इसके बाद नाश्ता की थाली लगती। चूड़ा, दही व गुड़ उनको बहुत पंसद था। दिन में एक-दो बार सत्तू का सेवन भी करते थे।
सोने से पहले लिखते थे डायरी
सुब्बा राव सोने से पहलेे डायरी जरूर लिखते थे। देशभर से उनके शुभचिंतकों का पत्र आता उसका जवाब, कोई पत्रिका के लिए यदि लेख मांगा तो उसे लिखते थे। प्रभात की मानें तो एनएसएस के विश्वविद्यालय समन्वयक रहे प्रो.अरुण कुमार सिंह, प्रो.विकास नारायण उपाध्याय, गांधीवादी सुरेंद्र कुमार, डा.बीके जायसवाल, अरविंद वरुण, प्रो.बीरेन्द्र कुमार सिंह, मुकेशचन्द्र झा, विनय कुमार प्रशांत, केशव पांडेय, अशोक भारत, मोहन मिश्रा, अनुरोध प्र्रगट मिश्र से उनका गहरा लगाव रहा। अपनी यात्रा में वह इन लोगों को याद करते थे।
मुजफ्फरपुर से जुड़ीं यादगार यात्राएं 1993 में सद्भावना रेलयात्रा के दौरान यहां आकर ठहरे। राष्ट्रीय एकता को लेकर संवाद व सर्वधर्म प्रार्थना में शामिल हुए। 1996 में रामनगर में बद्री पांडेय के नेतृत्व में शिविर, कई दस्यु ने किया आत्मसमर्पण, आरडीएस कालेज में शिविर में शामिल हुए। 2001 में आरडीएस कालेज में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना के शिविर में शामिल हुए थे। 2010 में चतुर्भुज राम मेमोरियल ट्रस्ट सभागार में राष्ट्रीय एकता व सद्भाव शिविर में शामिल हुए। 2010 में बांग्लादेश में एकता शिविर मुजफ्फरपुर से प्रभात कुमार, मुकेश चन्द्र झा व अनुरोध प्रगट मिश्र की टोली शामिल हुई। 2011 में श्रीलंका में शिविर में यहां की टोली शामिल हुई। 2015 में सीतामढ़ी में शिविर, 2017 में भितिहरवा आश्रम व 2018 में साहेबगंज में एकता शिविर में शामिल हुए। 2019 में मोतिहारी में 28 दिसंबर से आयोजित शिविर में जाने के दौरान यहां पर ठहरे थे।