बीएड कॉलेजों में विद्यार्थियों की बायोमीट्रिक हाजिरी अनिवार्य
पटना हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर बीएड कॉलेजों ने अपनी फीस तो बढ़ा ली, मगर उस हिसाब से अपने कॉलेजों और विद्यार्थियों को सुविधा नहीं दे रहे।
मुजफ्फरपुर। पटना हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर बीएड कॉलेजों ने अपनी फीस तो बढ़ा ली, मगर उस हिसाब से अपने कॉलेजों और विद्यार्थियों को सुविधा नहीं दे रहे। उनकी मनमानी भी जारी है। इनपर अंकुश लगाने के लिए राजभवन ने कॉलेज इंस्पेक्टरों को जवाबदेह ठहराया है और साफ कहा है कि जो कॉलेज सरकारी मानदंड पूरा नहीं करते, उनकी मान्यता रद्द करने के लिए तुरंत लिखें। राजभवन ने यह भी कहा है कि ये कॉलेज इंस्पेक्टर अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर पाए। व्यवस्था सुधार पर जोर देते हुए राजभवन ने इंस्पेक्टरों को कहा है कि वे देखें कि विद्यार्थियों से किसी तरह की उगाही न होने पाए और उनसे जिस मद में पैसे लिए जाते हैं, उसकी रसीद दी जाए। इस बारे में कॉलेज इंस्पेक्टरों का कहना है कि सबसे पहले कॉलेजों में शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराई जाएगी। शिक्षकों के बाद विद्यार्थियों की बायोमीट्रिक हाजिरी लगवाने की व्यवस्था अनिवार्य की जाएगी। अभी 22-23 कॉलेजों में मुश्किल से बायोमीट्रिक मशीन लग पाई है। कॉलेज इंस्पेक्टर आर्ट्स प्रो. रजनीश गुप्ता ने कहा कि बीआरए बिहार विवि के अंतर्गत 55 बीएड कॉलेज हैं और तकरीबन 6200 के आसपास इन कॉलेजों में सीट हैं। हर कॉलेज में 15 टीचर व एक एचओडी या प्राचार्य मिलाकर कुल 16 स्ट्रेंथ चाहिए।
15-20 हजार के शिक्षकों से पढ़ाई क्यों
जानकारों का कहना है कि कॉलेजों ने अपनी फीस बढ़ा ली तो शिक्षकों की सैलरी भी बढ़नी चाहिए। ताकि, किसी को 15-20 हजार रुपये देकर काम न कराया जाए। उनका पीएफ अनिवार्य रूप से कटे। आधार से शिक्षकों के एकाउंट को जोड़िए और बैंक एकाउंट से ही उनका वेतन भुगतान करिए। कहीं से भी कोई नकद भुगतान की स्थिति आती है तो अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सिफारिश की जाएगी। बच्चों को लाने-ले जाने के लिए वाहनों की समुचित सुविधा हो। वाहन भाड़े के नाम पर भी वसूली की शिकायतें आती हैं। खेल का ग्राउंड, इंडोर-आउटडोर गेम्स की व्यवस्था आवश्यक है।