शहर में बदतर हालात, महामारी की आशंका, सहमे शहरवासी

नगर निगम में सातवें दिन भी कर्मियों की हड़ताल जारी रही।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 01:31 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 01:31 AM (IST)
शहर में बदतर हालात, महामारी की आशंका, सहमे शहरवासी
शहर में बदतर हालात, महामारी की आशंका, सहमे शहरवासी

मुजफ्फरपुर : नगर निगम में सातवें दिन भी कर्मियों की हड़ताल जारी रही। इससे सोमवार को भी शहर में सफाई कार्य बाधित रहा। न कचरे का उठाव हुआ और न ही सड़कों पर झाड़ू लगी। इससे मुख्य बाजार से गली-मोहल्लों तक नारकीय हालात रहे। शहर में एक हजार टन से अधिक कचरा जमा हो गया है। यह सड़कों पर पसरा है। बारिश होने के साथ ही इससे सड़ांध उठने से शहरवासी महामारी की आशंका से सहमे हैं।

नगर निगम हालात से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रात में जेसीबी व डंपर आदि की मदद से कुछ इलाकों से कचरे का उठाव करा रहा है। वहीं सुबह में आटो टिपर की सहायता से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन किया जा रहा है। इससे शहर के कुछ इलाकों में राहत महसूस की जा रही है। वहीं आधा दर्जन वार्डो में पार्षद अपने स्तर से सफाई करा रहे हैं। वार्ड 46 के पार्षद नंद कुमार प्रसाद साह अपने खर्च पर निजी मजदूरों को लगाकर सफाई करा रहे हैं। वहां रिक्शा ठेला की मदद से कचरे का उठाव हो रहा है। वहीं वार्ड 20 के पार्षद संजय कुमार केजरीवाल आधा दर्जन लोगों के साथ स्वयं सफाई कार्य में जुटे हैं। उन्होंने सोमवार को सहयोगियों की मदद से आधा दर्जन गलियों की सफाई की। वार्ड 27 के पार्षद अजय ओझा भी सुबह व रात में स्वयं सड़कों पर झाड़ू लगा रहे हैं। सारे प्रयास हड़ताल से नाकाफी साबित हो रहे हैं।

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संयुक्त मोर्चा के सदस्यों ने प्रतिपक्ष के नेता से मिलकर सौंपा ज्ञापन

हड़ताल का नेतृत्व कर रहे संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने डा.रघुवंश सिंह के श्रद्धांजलि समारोह में शामिल होने आए प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में मोर्चा के अध्यक्ष अशोक राय व अन्य शामिल थे। उन्होंने मांगों को पूरा कराने के लिए सरकार पर दबाव डालने का अनुरोध किया।

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जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र को भटक रहे लोग

शहरी क्षेत्र में रहने वालों को जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए भटकना पड़ रहा है। निगम में हड़ताल से कार्यालय का कार्य बाधित है। जन्म एवं मृत्यु प्रमाणपत्र शाखा में ताला लगा है। पहले जिन लोगों ने आवेदन दिया था उनका प्रमाणपत्र बनने के बाद भी नहीं मिल रहा है। नया आवेदन भी नहीं जमा हो रहा है। प्रापर्टी टैक्स की वसूली भी प्रभावित हो रही है। इससे निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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