समस्तीपुर के शस्त्रागार से गायब चार हजार 56 कारतूस का अभी तक नहीं मिला सुराग

दुधपुरा पुलिस केंद्र स्थित शस्त्रागार से वर्ष 2018 में गायब हुआ था 4 हजार 56 कारतूस व कारबाइन का नौ मैगजीन।आइजी के निर्देश पर गठित जांच टीम की रिपोर्ट के बाद मुफस्सिल थाना में दर्ज की गई थी प्राथमिकी। 12 पुलिसकर्मियों को किया गया था नामजद।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 09:30 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 09:30 AM (IST)
समस्तीपुर के शस्त्रागार से गायब चार हजार 56 कारतूस का अभी तक नहीं मिला सुराग
कोत प्रभारी उमाशंकर सिंह को एसआइटी ने कैमूर जिला स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया।

समस्तीपुर, जासं। शहर के सटे दुधपुरा पुलिस केन्द्र स्थित शस्त्रागार से गायब सैकड़ों कारतूस मामले में तत्कालीन खुला कोत प्रभारी उमाशंकर सिंह को जिला पुलिस की एसआइटी ने मंगलवार की देर रात कैमूर जिला स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपित को मुफस्सिल थाना की पुलिस ने बुधवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। बता दें कि वर्ष 2018 में पुलिस केन्द्र के शस्त्रागार से 4 हजार 56 कारतूस समेत कारबाइन की नौ मैगजीन गायब होने का मामला प्रकाश में आया था। इस बाबत दरभंगा प्रक्षेत्र के आइजी के निर्देश पर गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट पर मुफस्सिल थाना में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें सार्जेंट मेजर मिथिलेश सिंह समेत 12 पुलिस कर्मियों को नामजद किया गया था। पुलिस पर्यवेक्षण में छह के खिलाफ आरोप तय किया गया। शेष छह को आरोपमुक्त किया गया। जिस वक्त यह मामला प्रकाश में आया था, आरोपित उमाशंकर सिंह खुला कोत प्रभारी के पद पर प्रतिनियुक्त थे। जांच टीम द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में तत्कालीन कोत प्रभारी उमाशंकर सिंह और सिपाही आशीष आनंद को मुख्य आरोपित बताया गया था।

 मामला उजागर होने के बाद तीन वर्ष पूर्व वरीय पदाधिकारियों के द्वारा उन्हेंं सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। वहीं दूसरी टीम को पुन: जांच की जिम्मेदारी दी गई। इस मामले में अबतक कई अनुसंधानक बदले गए। जांच का जिम्मा पटोरी डीएसपी को भी मिला। फिर दरभंगा प्रक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक विनोद कुमार ने भी मामले की जांच की। हाल ही में बीते 29 जुलाई को इस मामले में नामजद आरोपित हवलदार विजय गिरी और पीटीसी संजय शर्मा ने व्यवहार न्यायालय में सरेंडर कर दिया था। वहीं अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही थी। पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ने बताया पकडे गए आरोपित को न्यायिक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है।

वर्ष 2015 से ही गायब हो रहे थे कारतूस

वर्ष 2018 में पुलिस अधीक्षक दीपक रंजन ने पुलिस लाइन में अपने निरीक्षण के दौरान इस अनियमितता को पकड़ा था। जांच के लिए उन्होंने दलसिंहसराय डीएसपी कुंदन कुमार के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की। जांच कमेटी की रिपोर्ट में यह सामने आया कि कारतूस गायब होने का यह खेल जुलाई 2015 से ही चल रहा था।

दर्ज प्राथमिकी में 12 पुलिस कर्मी नामजद

पुलिस की एफआइआर में तत्कालीन सार्जेंट मेजर मिथिलेश कुमार सिंह, कोत प्रभारी भोला प्रसाद चौधरी, देवनंदन दास, राजेन्द्र गिरी, हवलदार बच्चनदेव श्रीवास्तव, जमादार उमाशंकर सिंह, सिपाही आशीष आनंद, संजय शर्मा, रामाशंकर सिंह, विजय गिरी समेत दो अन्य को आरोपित किया गया था। वर्तमान में अधिकांश पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण हो चुका है। कई सेवानिवृत भी हो चुके हैं। हवलदार रामाशंकर सिंह की मृत्यु हो चुकी है।

गायब कारतूसों का नहीं मिला सुराग

जांच रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक 9 एमएम की 3817 गोली गायब है। इसके अलावे रायफल की 110, एके 47 की 49 व इंसास रायफल की 26 गोली शस्त्रागार से गायब है। इस मामले में गठित जांच कमेटी द्वारा जून 2015 से अब तक की गोलियों की निर्गत व जमा रजिस्टर की जांच की गई। स्टॉक के हिसाब से 19850 गोली होनी चाहिए थी लेकिन स्टॉक में 3817 गोली कम मिली। इसी तरह इंसास रायफल की कुल 13025 गोली है, जिसमें 11880 निर्गत की गई थी। इस हिसाब से भंडार में 1145 गोली होनी चाहिए, लेकिन भंडार में 1119 गोली ही उपलब्ध मिली। एके 47 की 49 व थ्री नट थ्री की 110 गोली कम मिली थी। 

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