श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से होते भगवान के दर्शन
भगवान से मिलने का मार्ग तभी खुलता है जब आप क्षमा प्रेम और त्याग करना सीख जाते हैं।
मुजफ्फरपुर। भगवान से मिलने का मार्ग तभी खुलता है जब आप क्षमा, प्रेम और त्याग करना सीख जाते हैं। उक्त बातें गायघाट प्रखंड के बेरुआ में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथावाचक पवनदेव महराज ने कहीं। उन्होंने कहा कि जो इस कथा को सुनता है, उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता है। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जागृत होता है। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से तीन प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। एक व्यक्ति वे हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता है। दूसरा जो सबसे प्रेम करता है चाहे उससे कोई करे या न करे। तीसरा प्राणी प्रेम करने वाले से कोई संबंध नहीं रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध है ही नहीं। आप इन तीनों में किस व्यक्ति की श्रेणी में आते हो?। भगवान ने कहा कि गोपियों, जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता है वहा प्रेम नही हैं वहा स्वार्थ झलकता है। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया, ये बस स्वार्थ है। संतान भले ही अपने माता-पिता, गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो। लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती है। मौके पर मुखिया पति सत्येंद्र नारायण सिंह उर्फ खदेरन सिंह, पैक्स अध्यक्ष ठाकुर विजय कुमार सिंह, झुनझुन सिंह, धनंजय कुमार ठाकुर, कृष्णा सिंह, मनोज कुमार ठाकुर, महेश सिंह, पारसनाथ सिंह आदि सक्रिय थे। कथा श्रवण को बड़ी संख्या में ग्रामीण विशेषकर महिलाएं मौजूद थीं।