मधुबनी में कहीं सास-बहू तो कहीं पति-पत्नी एक ही पद के लिए ठोक रहे ताल

पंचायत चुनाव रिश्तों में प्रतिस्पर्धा से हुआ रोचक 18 को नाम वापसी के साथ ही स्पष्ट होगी चुनावी दंगल की तस्वीर भगवतीपुर में सांस-बहु पंडौल पश्चिमी में पति-पत्नी की एक ही पद पर दावेदारी पंडौल पूर्वी पंचायत में पिता-पुत्र जीजा-साला व दो भाइयों ने एक-दूसरे के खिलाफ किया है नामांकन।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 04:46 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 04:46 PM (IST)
मधुबनी में कहीं सास-बहू तो कहीं पति-पत्नी एक ही पद के लिए ठोक रहे ताल
पंचायत चुनाव को लेकर प्रचार प्रसार में जुटे प्रत्‍याशी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मधुबनी, {प्रदीप मंडल} । पंचायत चुनाव स्थानीय स्तर पर होते हैं। इसका स्वरूप विधानसभा एवं लोकसभा के चुनावों से बिल्कुल अलग होता है। शायद यही वजह है कि पंचायत चुनाव में रोचक प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। इस बार के पंचायत चुनाव में भी पंडौल प्रखंड में कुछ ऐसी ही परिस्थिति सामने आ रही है जब एक ही परिवार के लोग आमने-सामने हैं। कहीं सास-बहु ने एक ही पद के लिए नामांकन किया है तो कहीं पिता-पुत्र और पति-पत्नी आमने-सामने हैं। कहीं, भाई-भाई एक ही पद के लिए चुनाव में उतरने वाले हैं तो कहीं जीजा-साला आमने सामने हैं। बता दें कि पंडौल प्रखंड में नामांकन की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। गुरुवार को नामांकन पत्रों की स्क्रुटनी हुई है। नाम वापसी की अंतिम समय-सीमा 18 सितंबर है। प्रखंड में मतदान 29 सितंबर को होना है।रिश्तों के बीच चुनाव होगा दिलचस्प :

पंचायत चुनाव में रिश्तों के बीच चुनाव दिलचस्प होगा। अगर नामांकन रद नहीं हुआ और नाम वापसी नहीं हुई तो प्रखंड के कई पंचायतों में रोचक मुकाबले होंगे। प्रखंड के भगवतीपुर पंचायत में सास-बहु ने एक दूसरे के विरुद्ध मुखिया पद के लिए ही नामांकन कराया है। जबकि, पंडौल पश्चिमी में पति-पत्नी ने एक-दूसरे के विरूद्ध मुखिया पद के लिए नामांकन कराया है। वहीं, पंडौल पूर्वी पंचायत में पिता-पुत्र, जीजा-साला व दो भाइयों ने एक दूसरे के विरुद्ध मुखिया पद से ही नामांकन करवाया है। ऐसी स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि नाम वापसी के दिन कौन- कौन प्रत्याशी चुनाव मैदान से अपना नाम वापस लेते हैं और कौन डटे रहते हैं।

रिश्तों में प्रतिस्पर्धा के पीछे का खेल निराला 

पंचायत चुनाव के जानकारों की मानें तो इस तरह के नामांकन के पीछे आमतौर पर कई कारण होते हैं। कहीं अपनी पसंद के चुनाव चिन्ह पाने के लिए तो कहीं विरोधियों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के नामांकन कराए जाते हैं। कुछ ऐसे भी अभ्यर्थी होते हैं जो किसी ना किसी मामले में कानूनी पेंच में फंसे रहते हैं अथवा उन्हें अपने नामांकन के स्क्रुटनी में रद होने का भय बना रहता है। वैसे अभ्यर्थी जानबूझकर अपने स्वजनों का भी उसी पद के लिए नामांकन करवा देते हैं। खुद को निश्चिंत कर लेते हैं की यदि सब ठीक ठाक रहा तो नाम वापसी के दिन आपसी सहमति से एक नाम वापस ले लेंगे।

18 को स्पष्ट होगा सीन 

चुनावी दंगल का सीन 18 सितंबर को स्पष्ट हो जाएगा। उस दिन नाम वापसी का अंतिम दिन है। यानी कि 18 को यह साफ हो जाएगा कि चुनाव मैदान में कौन किसके सामने डटा है और किसने अपनी दावेदारी वापस ले ली है। यह देखना दिलचस्प होगा कि जिन सास-बहु, पिता-पुत्र, पति-पत्नी, जीजा-साला एवं भाईयों ने एक-दूसरे के विरूद्ध नामांकन दर्ज कराया है, वे एक दूसरे के प्रति मैदान में टिकते हैं या फिर ये नामांकन महज चुनावी स्टंट के रूप में सामने आते हैं। लोगों की नजर ऐसे प्रत्याशियों पर विशेष रूप से टिकी हुई है।

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