बेतिया के बेलदारी व मंशा टोला की हवा को दूषित कर रहा फैक्ट्री से निकलनेवाला धुआं

फैक्ट्री से निकलने वाले धुआं से लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। इसी के चलते लोगों ने मुफस्सिल थाना से लेकर जिलाधिकारी तथा पीएम कार्यालय तक ई-मेल इंस्ट्राग्राम के माध्यम से शिकायतें दर्ज कराई है ।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:30 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:30 AM (IST)
बेतिया के बेलदारी व मंशा टोला की हवा को दूषित कर रहा फैक्ट्री से निकलनेवाला धुआं
साल भर पहले भी लोगों ने जिलाधिकारी को ई. मेल के माध्यम से की थी शिकायत। फोटो- जागरण

बेतिया, जासं। शहर के पूर्वी छोर में बसा अद्यौगिक परिक्षेत्र में कई कल-कारखाने संचालित हो रहे है। इन कल-कारखानों में दो-चार ऐसे कारखाने हैं जिनसे निकलने वाले अवशेष आस-पास के रहने वाले लोगों के लिए जीना मुहाल कर दिया है। फैक्ट्री से निकलने वाले धुआं से लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। इसी के चलते लोगों ने मुफस्सिल थाना से लेकर जिलाधिकारी तथा पीएम कार्यालय तक ई-मेल, इंस्ट्राग्राम के माध्यम से शिकायतें दर्ज कराई है। यहां तक की स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बंद आंखों को खोलने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से अपील कर रही है। बावजूद फैक्ट्री पहले की तरह ही प्रदूषण फैला रही है। लोगों का आरोप हैं कि फैक्ट्री संचालक को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। जिसके कारण फैक्ट्री संचालक पर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की जाती है। 

क्या कहते हैं लोग

मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मंशा टोला निवासी सद्​दाम हुसैन, आतिफ हुसैन, चंदन कुमार, म. सोनू, म. इब्राहम, म. अफजल, तमन्ना प्रवीण, इरशाद, शहनवाज, नवीन आलम, नेहा प्रवीण, मेराज आलम, मंजूर कुरैशी, सलमा प्रवीन सहित स्थानीय सैकड़ों लोगों ने इस प्रदूषण से जल्द से जल्द निजात दिलाने की मांग की है। उनका आरोप हैं कि अद्यौगिक परिक्षेत्र में संचालित हो रहे कल-कारखानों में प्रदूषण का नियंत्रण नहीं किया जा रहा है। 24 घंटे धुआं एवं उनके राख वातावरण को दूषित कर रहे है। लोगों का आरोप हैं कि फैक्ट्री संचालक से इस संबंध में शिकायत करने के बावजूद प्रदूषण निष्तारण नियमावली का उल्लंघन किया जाता है। बताया कि अद्यौगिक परिक्षेत्र में सबसे ज्यादा कूंट तथा चुड़ा फैक्ट्री से राखी युक्त धुआं निकलता है। जिससे आस-पास दो से तीन किलोमीटर के परिधि में रहने वाले अधिकांश लोग दमा के शिकार होते है। उनकी छतों व घर के आंगन में राख की परते जम जाती है।

अद्यौगिक परिक्षेत्र में नहीं है एएक्यू मशीन

मंशा टोला के नवीन आलम, नेहा प्रवीण, मेराज आलम, मंजूर कुरैशी आदि बताते हैं कि शहर में वायुमंडल में फैले प्रदूषण को मापकर उसकी जानकारी देने के लिए इंडस्ट्री एरिया में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि नियमानुसार इंडस्ट्री एरिया में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगाना अनिवार्य होता है। इससे यह पता चल पाएगा कि शहर की आबो-हवा कितनी शुद्ध और कितनी प्रदूषित हुई है। हालांकि समाहरणालय चौक पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण मापक के लिए डिस्प्रेल लगा है।

स्किन और सांस संबंधित बीमारियों का खतरा

गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया के चर्मरोग विभाग के डॉ. शिवशंकर कुमार ने कहा कि राख हो या दूषित पानी दोनों से स्किन और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है। राख इंफेक्शन, खांसी, सांस की बीमारियां, स्किन, हार्ट और दमे के मरीजों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकती है।  

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