दरभंगा में कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर से बचाव को लेकर हो रहे इंतजामों की गति धीमी

आक्सीजन प्लांट लगाने का चल रहा काम शिशु रोग का कार्य अंतिम चरण में तीन गैस प्लांट लगाए जाने हैं डीएमसीएच में जुलाई से शुरू होना था उत्पादन प्लांट से गैस पाइप लाइन लगाने की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से देरी की संभावना

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 05:44 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 05:44 PM (IST)
दरभंगा में कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर से बचाव को लेकर हो रहे इंतजामों की गति धीमी
कोरोना संक्रमण से बचाव के ल‍िए गाइडलाइन का पालन जरूरी है। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

दरभंगा, जासं। कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर से लोगों की सुरक्षा को लेकर दरभंगा मेडिकल कालेज सह अस्पताल (डीएमसीएच) में तैयारी मई में ही शुरू हो गई थी। लेकिन दो माह बीतने के बावजूद तीसरे लहर की तैयारी धीमी गति से चल रही है। अबतक शिशु रोग वार्ड में कोरोना मरीजों के इलाज की तैयारी अंतिम चरण में है। बेड की कोई कमी नहीं है। 40 वेंटीलेटर का इंतजाम है। 25 बेड का आइसीयू तैयार है। कोरोना मरीजों के लिए 350 बेड से अधिक का इंतजाम है।

इन सबके बीच कई मोर्चों पर तैयारी ठीक से नहीं हो सकी है। पूरे डीएमसीएच में एक ही गैस पाइप लाइन चल रही है। लेकिन, कोरोना काल के दूसरे लहर में जो खामियां नजर आईं, उसमें सुधार लाने की कोई प्रक्रिया संपन्न नहीं हो पाई है। तमाम वार्ड पुरानी स्थिति में हैं। आक्सीजन गैस पाइप लाइन अबतक नही लग पाई है। जानकार बताते हैं कि गैस पाइप तब लगे जब तीनों आक्सीजन प्लांट में गैस का उत्पादन शुरू हो जाए। बता दें कि दावा किया गया था कि ऑक्सीजन प्लांट जुलाई से शुरू हो जाएगा। जुलाई समाप्त हो गया, लेकिन अबतक इन प्लांटों के लिए सिविल वर्क ही हो पाया है। तकनीकी काम शेष है।

यहां लगने हैं आक्सीजन प्लांट

दूसरी लहर को देखते हुए तत्काल तीन आक्सीजन प्लांट लगाने का काम डीएमसीएच में शुरू किया गया था। इनके शुरू होने के बाद एक साथ चार प्लांटों से आक्सीजन का उत्पादन करने का लक्ष्य है। क्रायोजेनिक प्लांट का निर्माण एनेसथिसिया विभाग के परिसर में शुरू है। इसकी क्षमता 40 हजार लीटर रोज उत्पादन की है।

दूसरे प्लांट के निर्माण का जिम्मा भारत प्रेट्रोलियम गुवाहाटी ने एनआरएल को दिया है। इसकी क्षमता दो हजार लीटर प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन की है। इस प्लांट का निर्माण स्थल केंद्रीय इमरजेंसी वार्ड और केंद्रीय ओपीडी के साइकिल स्टैंड के समक्ष किया जा रहा है।

वहीं बिहार सरकार की ओर से गायनिक वार्ड के समक्ष ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कराने का लक्ष्य है। इसकी जिम्मेवारी पाथ संस्था को दी गई है। इस प्लांट की क्षमता रोज एक हजार लीटर ऑक्सीजन उत्पादन है। इसके पहले बिहार सरकार की ओर से एक हजार लीटर क्षमता वाली आक्सीजन प्लांट का निर्माण कराया जा चुका है। वर्तमान में इसी प्लांट से आइसोलेशन वार्ड के मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। बताया गया है कि हरेक दिन 400 से अधिक मरीजों को ऑक्सीजन गैस एक साथ आपूर्ति किया जा सकता है। इन गैस प्लांटों में सबसे बड़ा क्रायोजेनिक ऑक्सीजन प्लांट है।

फेब्रिकेटेड शिशु वार्ड बनाने का प्रस्ताव

इसके अलावा शिशु रोग वार्ड में फेब्रिकेटेड वार्ड का निर्माण कराने का प्रस्ताव सरकार को दिया गया है। तत्काल इस वार्ड के एक नए भवन में बच्चों को कोरोना के उपचार के लिए काम अंतिम चरण में है। ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीजों के लिए नेत्र रोग, कान,नाक और मुंह वार्ड आरक्षित है।

-सभी स्थलों पर आक्सीजन गैस प्लांट का काम शुरू है। शिशु रोग वार्ड में कोरोना वार्ड का काम अब अंतिम चरण में है। आक्सीजन प्लांट में सिर्फ तकनीकी कार्य शेष है। तय समय से पूर्व सारी तैयारी पूरी कर ली जाएगी। यह तैयारी तीसरे लहर के लिए की जा रही है।- डॉ. केएन मिश्रा प्राचार्य, दरभंगा मेडिकल कालेज, अस्पताल

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