Sitamarhi News: दो दशक तक एमएलसी रहे ललितेश्वर बाबू, जन-जन के थे प्रिय
साठ के दशक में पटना विश्व विद्यालय के यूनाइटेड नेशनल छात्र एसोसिएशन (अंसा) के महासचिव थे। बाहैसियत (अंसा) महासचिव श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय छात्र संघ सम्मेलन में भाग लिया। गांव के लोगो ने उन्हें जबरन 1969 में मुखिया का चुनाव लड़वा दिया। रिकॉर्ड वोटों से जीत गए।
सुरसंड (सीतामढ़ी), संस। बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे प्रख्यात नेता ललितेश्वर झा ललन की प्रतिमा श्रीखण्डी भिट्ठा पूर्वी स्थित भगवती स्थान में स्थापित की गई है। गुरुवार को महानवमी के अवसर पर उनके पुत्र पत्रकार विकास कुमार झा, पुत्रवधु रेखा झा समेत पारिवारिक सदस्य प्रो. शैलेश कुमार झा, शंभू झा के द्वारा अनावरण किया गया। स्वास्ती वाचन पंडित ऋषिकेश झा, शोभाकांत, केवल झा, सुदीश झा, रौशन झा ने किया। यह कार्यक्रम संभावना संस्था द्वारा अपन गाम, अपन लोक के सौजन्य से संपन्न हुआ। गण्यमान्य लोगों ने ललितेश्वर बाबू के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
बताया कि वे छात्र जीवन से ही राजनीती और समाज सेवा से जुड़े रहे। साठ के दशक में पटना विश्व विद्यालय के यूनाइटेड नेशनल छात्र एसोसिएशन (अंसा) के महासचिव थे। बाहैसियत (अंसा) महासचिव श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय छात्र संघ सम्मेलन में भाग लिया। गांव के लोगो ने उन्हें जबरन 1969 में मुखिया का चुनाव लड़वा दिया। रिकॉर्ड वोटों से जीत गए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करते हुए सक्रिय राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। अगले वर्ष 1970 में बिहार विधान परिषद के लिए तिरहुत निर्वाचन क्षेत्र से सदस्य निर्वाचित हुए। अविभाजित बिहार के प्रखर मजदूर नेता के तौर पर भी उनकी पहचान थी। दो दशक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की। सुरसंड में जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल कॉलेज, श्रीखण्डी भिट्ठा गांव में भूमि देकर अन्नपूर्णा हरिदेव सहदेव उच्च विद्यालय खुलववाया। मात्र 56 वर्ष की उम्र में ही उनका निधन 28 नवंबर, 1994 को हो गया।
गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित हो, यह इच्छा एक अर्से से थी ग्रामीणों के मन में
अध्यक्षता सेवा निर्मित शाखा प्रबंधक अरुण माया ने तो मंच संचालन कन्हैया झा व धन्यवाद ज्ञापन पूर्व मुखिया सह प्रो. शैलेश कुमार झा ने किया। गांव की बच्चियों ज्योति, रुचि, राधा, भारतीय कुमारी ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। गांव के लोगों ने कहा कि ललन बाबू जननेता थे और इसलिए हम लोग उन्हें कभी भुला नहीं पाएंगे। गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित हो, यह इच्छा एक अर्से से ग्रामीणों के मन में थी और इस बार महानवमी के अवसर पर संकल्प पूरा हो गया। अपने पिता के प्रति जन-जन की श्रद्धा, स्नेह और लगाव से उनके पुत्र प्रख्यात पत्रकार विकास कुमार झा भावविह्वल थे। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानी रामनंदन सिंह, अवनींद्र मिश्र, मोहन प्रसाद, राम परीक्षण राउत, लतीफ राइन, डा. कामदेव झा, प्रमोद ठाकुर, महाकवि अरुण माया, शीलाकांत झा, कृष्ण चंद्र मिश्र, प्रो. आचार्य हेमचंद्र लाल, प्रो. आचार्य विमलेश किंकर, शिवनाथ झा, आरके वर्मा, विपिन प्रसाद, जयरूद्र झा, नंदन नीरव, प्रो. विभूति झा, शंभू नाथ झा, डा. महावीर झा, मिथिलेश झा, डा. सुनील कुमार झा, डा. संगीता झा, दिवाकर ठाकुर, शिवकुमार ठाकुर शिवम झा ने अपने प्रिय नेता से जुड़े संस्मरणों को साझा किया।