फैशन के साथ-साथ म‍हि‍लाओं को रोजगार दे रहे सि‍क्‍की के आभूषण

मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड के रैयाम गांव में एक दर्जन से अधिक महिला कलाकार सिक्की से आभूषण तैयार कर रही है। मिथिला की प्राचीन पारंपरिक कला का नया अवतार सिक्की आभूषण देश-दुनिया को कर रहा आकर्षित। महानगरों में दुल्हनों की पहली पसंद बन रही सिक्की आभूषण।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 02:49 PM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 02:49 PM (IST)
फैशन के साथ-साथ म‍हि‍लाओं को रोजगार दे रहे सि‍क्‍की के आभूषण
मधुबनी। सिक्की से बने आभूषण (फाेटो- जागरण)

मधुबनी [राजीव रंजन झा]। सजने-संवरने के लिए सोना-चांदी की सिक्की आभूषण दुल्हनों की पहली पसंद बन रही है। देश के महानगरों में सिक्की आभूषण की डिमांड तेजी से बढ़ी है। इससे इसे तैयार करने वाली ग्रामीण क्षेत्रों की सिक्की कलाकारों में आत्मनिर्भरता आई है। कलाकारों की आमदनी बढ़ रही है। मधुबनी सहित मिथिला की प्राचीन सिक्की कला नए अवतार के रूप में आभूषण देश-दुनिया को आकर्षित कर रहा है।

नेचुरल, सस्ता, सुंदर व टिकाऊ सिक्की आभूषण

महानगरों में सिक्की आभूषण एक नया मॉडल के रूप में सामने आया है। विभिन्न धातुओं की अपेक्षा नेचुरल, सस्ता, सुंदर व टिकाऊ सिक्की आभूषण की मांग बढ़ी है। काफी हल्की होने वाले यह आभूषण अब बड़े-बड़े फैशन डिजाइनरों की भी पसंद बनने लगी है। एक तरह की घास से तैयार पूरी तरह स्वदेशी सिक्की आभूषण की एक से एक डिजाइन महिलाओं को अपनी ओर खींचने में सफल हो रहा है।

चमक व बनावट सोना जैसी

पीली धातु यानी सोना आभूषण की खरीदारी नहीं करने वाली महिलाओं के लिए सिक्की आभूषण की चमक व बनावट सोना आभूषण से नहीं होती। इसके खो जाने या फिर चोरी की चिंता भी नहीं होती।

सिक्की आभूषण की ऑनलाइन डिमांड

देश के विभिन्न हिस्सों से सिक्की आभूषण की ऑनलाइन मांग होने से इसके कलाकारों की आमदनी बढ़ने लगी है। आभूषण की ऑनलाइन मांग पर यहां के कलाकारों द्वारा कोरियर के माध्यम से आभूषण की आपूर्ति की जाती है। आभूषण का भुगतान भी ऑनलाइन कर दिया जाता है।

कलाकारों को प्रतिमाह 20 हजार रुपये तक की आमदनी

सिक्की आभूषण से इसके कलाकारों को प्रतिमाह सात से 20 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड के  रैयाम गांव के अलावा आसपास के इलाकों में पांच वर्षों से एक दर्जन से अधिक महिला कलाकार सिक्की से आभूषण तैयार कर रही है। इन कलाकारों द्वारा आभूषण के अलावा सिक्की के खिलौने व घरेलू उपयोग की वस्तु बनाए जाते रहे हैं। इन कलाकारों में राधा कुमारी, सुधीरा देवी, अर्चना कुमारी, सरोवर देवी, रुणा देवी, विभा कुमारी, मुन्नी देवी, नीतू देवी, चंदा कुमारी, नंदनी कुमारी सहित अन्य शामिल हैं। कलाकारों ने बताया कि सिक्की से तैयार आभूषणों की प्रदर्शनी देश के विभिन्न हिस्सों में लगाई जाती है।

50 से दस हजार रुपये तक के आभूषण 

सिक्की से तैयार चूड़ी 50 से 250 रुपये दर्जन, थ्री पीस सेट 200 से 300 रुपये, कान की बाली 100 से 350 रुपये, कान की लड़ी 50 से 100 रुपये, कान झुमका 50 से 100 रुपये, अंगूठी 100 से 200 रुपये, नेकलेस 200 से पांच हजार रुपये, नथिया 100 से 300 रुपये, डरकस 300 से 15 सौ रुपये, पायल 100 से 400 रुपये, दुल्हन सेट 1 से दस हजार रुपये मूल्य पर उपलब्ध है।

आभूषण बनाने के लिए चाकू व टकूआ की जरूरत

सिक्की से आभूषण सहित अन्य वस्तु बनाने के लिए मुख्य रूप से औजार के तौर पर एक चाकू व टकूआ की जरूरत पड़ती है।नैचुरल रंग हलका पीला वाले सिक्की को लाल व हरा रंग के साथ आभूषण बनाई जाती है।

जुलाई से सितंबर के बीच स्वत: उगते सिक्की

यहां के तालाब किनारे व जल क्षेत्र के आस-पास स्वत: उगने वाले सिक्की को सुखाकर अपने घरों में रखते है। मूलत: हरे रंग के सिक्की को विभिन्न रंगों में भिगोकर अन्य वस्तुओं की तरह आभूषण बनाए जाते है। जुलाई से सितंबर के बीच उगने वाले सिक्की को काटने के बाद इसके कारोबारियों द्वारा इसे सूखाकर रखा जाता है। इसके कारोबारियों से कलाकार 250 से 350 रूपये प्रतिकिलो की दर पर खरीद कर इसकी कलाकृति तैयार करते है।

 इस बारे में सहायक निदेशक हस्तशिल्प वस्त्र मंत्रालय मुकेश कुमार ने कहा क‍ि 'सिक्की कला के विकास के लिए विभागीय स्तर पर कलाकारों को प्रोत्साहन दिया जाता है। इस कला के साथ-साथ इसके कलाकारों के विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। जिससे महिलाएं सिक्की कला के माध्यम से आत्मनिर्भर की ओर बढ़ सके।'

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