बेतिया राज में रिकार्ड दिखाने की दुकानदारी बंद, पक्की नकल पर भी आफत

बेतिया राज में भूमि से संबंधित रिकॉर्ड दिखाने का कोई सरकारी प्रावधान नहीं है। अधिकृत रूप से भूमिस्वामी अपनी भूमि से संबंधित पक्की नकल ले सकते हैं। इसके लिए राज के खजाने में 140 रुपये का चालान जमा करना होता है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 08:42 AM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 08:42 AM (IST)
बेतिया राज में रिकार्ड दिखाने की दुकानदारी बंद, पक्की नकल पर भी आफत
बिहार के पांच और यूपी के आठ जिलों में बेतिया राज की संपत्ति। फोटो- जागरण

बेतिया, जासं। बेतिया राज के रिकॉर्ड रुम में चोरी की घटना के बाद से वर्षों से राज कचहरी में भूमि के रिकॉर्ड दिखाने की चल रही दुकानदारी अभी बंद है। क्योंकि रिकॉर्ड चोरी से संबंधित प्राथमिकी थाने में दर्ज होने के बाद पुलिस सक्रिय हुई है। इस वजह से रिकॉर्ड दिखाने की अवैध दुकानदारी बंद हो गई है। चूंकि अभी बिहार सरकार की ओर से भूमि सर्वे का काम चल रहा है। ऐसे में जिन भूस्वामियों के पास भूमि से संबंधित अभिलेख नहीं है, वे रिकॉर्ड देखने के लिए या भूमि से संबंधित पक्की नकल लेने के लिए पहुंच रहे हैं। पर, उन्हें निराश होकर लौटना पड़ रहा है। वैसे, बेतिया राज में भूमि से संबंधित रिकॉर्ड दिखाने का कोई सरकारी प्रावधान नहीं है। अधिकृत रूप से भूमिस्वामी अपनी भूमि से संबंधित पक्की नकल ले सकते हैं। इसके लिए राज के खजाने में 140 रुपये का चालान जमा करना होता है। उसके बाद रिकॉर्ड के प्रभारी सह बेतिया राज के नाजीर विनोद कुमार वर्मा संबंधित भूमि स्वामी को पक्की नकल मुहैया कराते हैं। लेकिन, यहां सप्ताह में प्रत्येक मंगलवार एवं बुधवार को रिकॉर्ड दिखाने की दुकानदारी अवैध ढ़ंग से होती है और राज प्रशासन की ओर से इस पर अंकुश नहीं लगाया जाता। छपरा से भूमि का कागजात देखने के लिए आए महेंद्र प्रसाद ने बताया कि दो दिन से यहां एक होटल में कमरा लेकर ठहरे हैं। रोज बेतिया राज कचहरी में आते हैं। भूमि के कागजात का पक्की नकल लेना है। फीस भी जमा करने को तैयार हैं। न कोई फीस जमा करा रहा है और नहीं रिकॉर्ड दिखाने को तैयार है। 

फेंसी मेले 62 लाख का राजस्व, फिर भी एक फोटो कॉपी मशीन नहीं

राज के प्राय: सभी कर्मचारी वेतन व अन्य सुविधाओं के लिए फंड का रोना रोते हैं। उदाहरण के तौर पर बेतिया राज परिसर में एक फेंसी मेला ग्राउंड है। प्रति वर्ष दशहरा में यहां मेला लगता है। खेल- तमाशा के अतिरिक्त अन्य दुकानें लगती हैं। इससे टैक्स वसूली के लिए बंदोबस्ती होती है। तीन वर्ष पूर्व इस मेले की बंदोबस्ती 62 लाख रुपये में हुई थी। बावजूद इसके बेतिया राज के पास बड़ी फोटो स्टेट मशीन नहीं है। एक छोटी मशीन है, जिससे खतियान की बड़ी कॉपियां प्रिंट नहीं हो पातीं। ऐसे में जब भूस्वामी पक्की नकल की अर्जी देता है तो नाजीर पूरे रिकॉर्ड को लेकर बेतिया उपकारा के पास एक फोटो कॉपी की दुकान में जाते हैं। वहां से फोटो कॉपी कराकर संबंधित को नकल मुहैया कराई जाती है। ताज्जुब तो यह है कि रिकॉर्ड रूम से अभिलेख निकलता है। फोटो कॉपी की दुकान में जाता है, लेकिन इसकी कोई इंट्री राज में नहीं होती। अब कौन सा अभिलेख फोटो कॉपी होने गया और कौन आया, ये सिर्फ नाजीर बाबू हीं जानते हैं।

नहीं हुआ बेतिया राज रिकॉर्ड डिजिटल

एक अप्रैल 1897 को बेतिया राज कोट ऑफ वार्ड के अधीन गया था। राज की संपत्ति के संरक्षक बिहार सरकार के राजस्व पर्षद के सदस्य हैं। दो वर्ष पूर्व राज की जमीनों का सर्वेक्षण हुआ था, उसमें तकरीबन 14 हजार एकड़ जमीन विभिन्न जिलों में बेतिया राज की पाई गई थी। सर्वेक्षण के दौरान हीं ज्ञात हुआ था कि आधा से अधिक जमीन अतिक्रमण का शिकार है। इसके अतिरिक्त भी आम रैयतों की भूमि का अभिलेख बेतिया राज में हीं संरक्षित है। लेकिन, अभिलेखों का संधारण बेतरतीब है। बीते दिनों राजस्व पर्षद का एक आदेश भी आया था कि बेतिया राज के रिकॉर्ड रुम में रखे अभिलेखों को डिजिटल कर दिया जाए। लेकिन अभी तक वह कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी है।

बेतिया राज के प्रबंधक विनोद कुमार सिंह ने कहा कि मैं तो अभी चुनाव ड्यूटी में बाहर हूं। बेतिया राज में कागजात दिखाने जैसा कोई प्रावधान नहीं है। अगर कोई इस तरह का अवैध कार्य करता हैं तो शिकायत मिलने पर जांच कर कार्रवाई होगी। पक्की नकल का नियम है। निर्धारित शुल्क जमा करने पर नकल दी जाती है। बेतिया के एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा ने कहा कि राज में चोरी मामले की फॉरेंसिक टीम जांच कर चुकी है। मैं खुद जांच किया हूं। कई लोगों से पूछताछ की गई है। हर एंगिल से मामले की छानबीन हो रही है। 

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