शिवहर के दो सगे भाई अपने हुनर से दिव्‍यांगता को देे रहे मात

मूक बधिर कृष्णा और पंकज कर रहे ब्रेल लिपी से पढ़ाई। चाय और नाश्ते की दुकान चला कर रहे परिवार की परवरिश। कृष्णा को है सरकारी नौकरी की दरकार। वीडियो कॉल कर इशारों में करते हैं दोनों बात कंप्यूटर का संचालन करने में भी हैं दक्ष।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 09:35 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 09:35 AM (IST)
शिवहर के दो सगे भाई अपने हुनर से दिव्‍यांगता को देे रहे मात
दोनों भाई शहर के अलग-अलग स्थानों पर होटल और चाय नाश्ते की दुकान चलाते हैं। फोटो : जागरण

शिवहर, [सुनील कुमार गिरि]। कहते हैं कि ऊपरवाला अगर कुछ छीनता है तो बदले में हुनर भी देता है। कहानी है दो सगे भाइयों की। दोनों मूक-बधिर हैं, लेकिन हर क्षेत्र में अव्वल हैं। शिवहर शहर के वार्ड छह निवासी कृष्णा और पंकज जन्म से ही मूक-बधिर हैं। दोनों भाई शहर के अलग-अलग स्थानों पर होटल और चाय नाश्ते की दुकान चलाते हैं। यही दुकान पूरे परिवार की आजीविका का आधार है। 

कृष्णा ब्रेल लिपि से स्नातक की पढ़ाई कर रहा है तो छोटा भाई पंकज इंटर में है। दोनों भाई क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबाल और दौड़ में भी अव्वल हैं। दोनों के पास जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के चार दर्जन से अधिक मेडल और प्रमाण पत्र हैं। कंप्यूटर भी चलाते हैं। सबसे बड़ी बात दोनों भाई स्मार्ट फोन चलाते हैं। वाट्सएप चैटिंग करते हैं। स्मार्ट फोन से बात करने का इन भाइयों का अंदाज निराला है। बात करने के लिए ये वीडियो कॉल करते हैं और इशारों में बात भी करते हैं। नंद किशोर साह और नीलम देवी के पांच पुत्र और एक पुत्री में तीन पुत्र और एक पुत्री ठीक हैं। जबकि, दो पुत्र कृष्णा और चंदन जन्म से ही मूक-बधिर है। नंद किशोर साह बताते हैं कि दोनों बेटे के इलाज पर काफी खर्च किया। दिल्ली तक गए। लेकिन आवाज नहीं आई। चिकित्सकों ने कहा कि मेडिकल साइंस में इसका कोई उपाय नही है। बताया कि, हाल ही में कृष्णा की शादी की है।

शहर के प्रशासनिक इलाके में डीएम आवास के करीब कृष्णा की दुकान है। दुकान के पीछे मकान भी है। कृष्णा की चाय इलाके में चर्चित है। अनुमंडल कार्यालय व समाहरणालय से लेकर कोर्ट तक के लोग चाय पीने कृष्णा की दुकान पर आते है। हर कोई कृष्णा से प्रभावित होता है। वह भले ही कृष्णा मूक है, लेकिन उसमें प्रतिभा है। वह कंप्यूटर भी चलाता है। कृष्णा की तरह पंकज भी प्रतिभावान है। दोनों भाईयों ने दिव्यांगों की देश, राज्य और जिलास्तर पर आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में भी अपना जलवा बिखेड़ा है। दोनों के पास 60 से अधिक प्रमाण पत्र और मेडल है। इशारों में कृष्णा की चाहत है कि सरकार उसकी क्षमता के अनुसार नौकरी दे। ताकि, वह आगे बढ़ सके। 

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