Sheohar: कोरोना संक्रमण के बीच कानपुर और दिल्ली से लौटे मजदूरों का टूटा सब्र का बांध, अब परदेस जाने की तैयारी
Sheohar News कोरोना की दूसरी लहर के बीच महानगर छोड़ने वाले मजदूरों ने गांव में ही मजदूरी करने की ठान ली थी। महानगर छोड़ते वक्त लोगों ने तय किया था कि अब चाहे जो भी हो गांव में ही मेहनत-मजदूरी कर जिंदगी संवारेंगे।
शिवहर, जागरण संवाददाता। कोरोना की दूसरी लहर के बीच महानगर छोड़ने वाले मजदूरों ने गांव में ही मजदूरी करने की ठान ली थी। महानगर छोड़ते वक्त लोगों ने तय किया था कि, अब चाहे जो भी हो, गांव में ही मेहनत-मजदूरी कर जिंदगी संवारेंगे। लेकिन गांव पहुंचने के चंद दिन बाद ही सब्र का बांध टूट गया। अब मजदूर जल्द से जल्द कोरोना संकट को खत्म होते देखना चाहते है, ताकि दोबारा परदेस की राह पकड़ सके। दिल्ली और कानपुर से लौटे तरियानी के दो दर्जन मजदूरों ने गांव व अपने शहर में काम की तलाश की। काम नहीं मिलने पर दो दिनों तक गेहूं की कटाई की। अब गेहूं की कटाई का भी काम नहीं बचा है। उपर से कोई मजदूरी भी नहीं मिल रही है। ऐसे में इन मजदूरों के पास दोबारा दिल्ली और कानपुर वापस लौटने के सिवाए कोई चारा नहीं बच गया है।
लॉकडाउन की आशंका के बीच घर लौटे
शिवहर जिले के तरियानी प्रखंड के विशंभरपुर पंचायत के सोगरा अदलपुर निवासी मंजय राम कानपुर में निर्माण कंपनी में काम करता था। वह अपने गांव के दर्जनभर लोगों के अलावा 40 लोगों की टीम के साथ सड़क, पुल व भवन निर्माण कंपनी में गैस बिल्डिंग का काम करता था। उसके साथ गांव के चंदू राम, ललन राम, निकेश पासवान, नितेश पासवान व प्रियेश पासवान भी काम करते थे। सबकुछ ठीकठाक चल रहा था। इसी बीच कोरोना संक्रमण फैलने लगा। ठीकेदार ने कहा कि, जितनी जल्दी हो घर लौट जाओ। फोन करेंगे तब आ जाना। मंजय के अनुसार पिछले बार लोगों को पैदल दिल्ली-मुंबई से गांव लौटते देखा था। लगा कि कही फिर लॉकडाउन लगा तो फंस जाएंगे। इसके बाद वह गांव के युवकों के साथ पांच अप्रैल को अपने गांव आ गया। कहा कि, आने में कही कोई दिक्कत नही हुई। सोचा था कि गांव में ही काम करेंगे। लेकिन गांव तो दूर जिले में कही भी रोजगार नहीं मिला है। कुछ दिन इंतजार करेंगे। रोजगार नहीं मिला तो वापिस लौट जाएंगे।
अब नहीं मिल रहा काम, परदेस जाने की तैयारी
सोगरा अदलपुर के विनोद पासवान दिल्ली के कंपनी में मजदूरी करते थे। उनके साथ गांव के दस अन्य लोग भी थे। दिल्ली में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच पांच लोग गांव लौट गए। पिछली बार लॉकडाउन के दौरान घर लौटने में काफी मशक्कत झेलनी पड़ी थी। लिहाजा विनोद पासवान अपने साथियों के साथ छह अप्रैल को गांव लौटे। दो दिनों तक गेहूं काटी। अब कोई काम नहीं मिल रहा है। बताया कि, कोरोना संक्रमण का रफ्तार जैसे ही कम होने लगेगा, वह फिर दिल्ली चले जाएंगे। कहा कि, सरकार अगर शिवहर में ही हम जैसे मजदूरों के रोजगार की व्यवस्था करती तो शायद परदेस जाने की मजबूरी नहीं होती।