मोतीपुर चीनी मिल की जमीन बियाडा को देने पर फंस सकता है पेंच

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका का हवाला देकर मिल प्रबंधन के अधिवक्ता ने भेजा नोटिस। राजस्व विभाग ने नोटिस में उठाए गए बिंदुओं की जांच कर समाहर्ता से मांगी रिपोर्ट। कोर्ट के बिना आदेश के मिल की जमीन बियाडा (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण) को हस्तांतरित की गई।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:48 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:48 AM (IST)
मोतीपुर चीनी मिल की जमीन बियाडा को देने पर फंस सकता है पेंच
नोटिस मिलने के बाद विभाग के संयुक्त सचिव ने समाहर्ता से जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा है। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, जासं। मोतीपुर चीनी मिल की जमीन पर उद्योग-धंधे को विस्तार देने की योजना पर पेच फंस सकता है। ऐसा चीनी मिल प्रबंधन की ओर से सु्प्रीम कोर्ट में दायर याचिका के कारण हो सकता है। प्रबंधन के अधिवक्ता मो. शाहिद अनवर ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट के बिना आदेश या निर्देश के पहले मिल की जमीन बियाडा (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण) को हस्तांतरित की गई। इसके बाद बियाडा की ओर से उद्यमियों में जमीन कैसे वितरित की जा रही है। नोटिस मिलने के बाद विभाग के संयुक्त सचिव चंद्रशेखर विद्यार्थी ने समाहर्ता से मामले की जांच कर रिपोर्ट भेजने को कहा है। 

मालूम हो कि मिल प्रबंधन के पूर्व निदेशक उमर इब्राहिम एवं मो. इब्राहिम उस्मान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2014 में याचिका दायर की थी।इसमें इंडियन पोटाश लिमिटेड, बिहार सरकार, विकास आयुक्त, बियाडा, गन्ना आयुक्त, गन्ना विभाग के सचिव, बिहार स्टेट सुगर कारपोरेशन आदि को प्रतिवादी बनाया गया था। इसके अलावा भी मालिकाना हक को लेकर एक दर्जन मामले शीर्ष कोर्ट में विचाराधीन है। अधिवक्ता ने सरकार को भेजे नोटिस में कहा कि सिविल अपील के रूप में याचिका स्वीकार होने के बाद भी मिल की जमीन पर बियाडा की ओर से निर्णय लिए जा रहे हैं। जबकि उक्त न्यायालय की ओर से कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। विभाग के पत्र के आलोक में डीएम प्रणव कुमार ने अपर समाहर्ता राजेश कुमार को मामले की जांच करने को कहा है।

मोतीपुर चीनी मिल की कहानी

वर्ष 1933 में मोतीपुर चीनी मिल ने धुआं उगला था। चीनी की क्वालिटी ऐसी कि विदेश भेजी जाती थी। 1980 में मिल को निजी हाथों से सरकार के अधीन ले लिया गया। इसके पांच वर्ष बाद ही पहली बार मिल बंद हुई। फिर चालू हुई, मगर स्थिति बिगडऩे लगी। अंतत: 1996-97 में यह पूरी तरह से बंद हो गई। बिहार सरकार (स्टेट सुगर कारपोरेशन) ने मिल को आइपीएल (इंडियन पोटाश लिमिटेड) के हवाले कर दिया। इसके बावजूद स्थिति नहीं सुधरी। इसके बाद सैकड़ों एकड़ से अधिक की जमीन पर कब्जा किया जाने लगा। जमीन को कब्जा से रोकने और उद्योग-धंधे को गति देने के लिए बिहार सरकार ने इसकी करीब एक हजार एकड़ जमीन बियाडा को देने का निर्णय लिया। इसके बाद इसमें मेगा फूड पार्क एवं अन्य उद्योगों के लिए जमीन लीज पर दी जा रही है। बियाडा मुजफ्फरपुर इकाई के विकास पदाधिकारी मनोज कुमार ने कहा है कि इस संबंध में मुझे कोई नोटिस या पत्र नहीं मिला है। वहीं मोतीपुर चीनी मिल की जमीन पर विभाग के स्तर से ही निर्णय हो रहा है। इसकी मुझे जानकारी नहीं है। 

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