समस्तीपुर में हल्दी के हरे पत्ते का भी उपयोग करेंगे विज्ञानी, निकालेंगे तेल
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे मिशन कृषि अवशेषों को उपयोगी बनाने की दिशा में यह अनुसंधान प्रारंभ हुआ है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव बताते हैं कि औषधीय गुण पाए जाने वाले हल्दी के पत्ते के रस से कई उपयोगी सामान बन सकता है।
समस्तीपुर,जागरण संवाददाता। उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में हल्दी की खेती बड़े पैमाने पर होती है। समस्तीपुर भी इसका एक प्रमुख उत्पादक जिला है। सरकार ने इस जिले का चयन वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत किया है। पहले हल्दी की खेत में इसके पत्ते सड़ जाते थे। पर अब उसे उपयोगी बनाने की दिशा में भी काफी प्रयास चल रहा है। विश्वविद्यालय में हल्दी के हरे पत्ते से तेल निकालने का कार्य जारी है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे मिशन कृषि अवशेषों को उपयोगी बनाने की दिशा में यह अनुसंधान प्रारंभ हुआ है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव बताते हैं कि औषधीय गुण पाए जाने वाले हल्दी के पौधों के पत्ते के रस से कई उपयोगी सामान बन सकती है जो आम जनजीवन के लिए उपयोगी है।
तेल के हो सकते हैं कई उपयोग
कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक अनुसंधान में जो बातें सामने आयी है उसके मुताबिक इस तेल से कीड़े- मकोड़े भाग जाएंगे। मच्छर भगाने के लिए ऑल आउट का भी रूप इसे दिया जा सकता है। इतना ही नहीं मिठाई की दुकानों पर अक्सर भिनभिनाने वाली मक्खियों को भी भगाने में भी इस तेल से सहायता मिलेगी। इसके उपयोग से और भी क्या हो सकता है इस पर अनुसंधान की प्रक्रिया जारी है। विश्वविद्यालय अनुसंधान के उपरांत किसानों को इसके लिए जागरूक करेगी।
सुगंधित सेंट साबुन में भी हो सकता है उपयोग
अनुसंधानकर्ता डॉ. तैकूर मैजावा का बताना है कि इसके तेल से सुगंधित सेंट, साबुन में सुगंध लाने के लिए सुगंधित पाउडर के अलावा एंटीसेप्टिक एंटीमाइक्रोबॉयल तथा एंटीफंगल में भी इसके तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। फोड़े-फुंसी सहित इसके आयुर्वेदिक दवा में भी इस्तेमाल किया जाता है।
1000 किलोग्राम पत्ते से निकलेगा 20 लीटर तेल
विज्ञानी मैजावा बताते हैं कि यह तेल काफी उपयोगी होगा। 1000 किलोग्राम पत्ते से करीब 20 लीटर तेल निकाला जा सकता है। एक लीटर तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 50000 रुपये के आसपास है। एक हेक्टेयर हल्दी के खेत से लगभग 5 टन पत्तियां प्राप्त होती है।
समस्तीपुर के लिए हुआ हल्दी का हुआ चयन
जिले के हल्दी उत्पादक किसानों को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत एक मुकाम मिलेगा। इससे यहां के किसानों को न केवल केंद्रीय योजनाओं का लाभ मिलेगा, बल्कि इनके उत्पाद को जिले से बाहर एक व्यापक बाजार भी मिलेगा। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट के तहत समस्तीपुर में हल्दी का चयन किया गया है। इसके तहत हल्दी उत्पादक किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां हल्दी की खेती को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही उत्पाद पर आधारित सूक्ष्म व लघु उद्योग भी स्थापित किए जाएंगे।