Samastipur: जितवारपुर निजामत की 724 हेक्टेयर जमीन में 374 कृषि योग्य, कैसे बनेगा नगर निगम का हिस्सा?

Samastipur News जिले के जितवारपुर चौथ निजामत व बिशनपुर के ग्रामीणों ने दी आपत्ति। ग्रामीणों ने रेलवे व राज्य सरकार व रेलवे के कार्यालय व आवासीय परिसर को नगर निगम में शामिल करने और शेष ग्रामीणों की जमीन को पंचायत रहने देने की मांग की।

By Murari KumarEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 04:53 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 04:53 PM (IST)
Samastipur: जितवारपुर निजामत की 724 हेक्टेयर जमीन में 374 कृषि योग्य, कैसे बनेगा नगर निगम का हिस्सा?
समस्तीपुर के जितवारपुर निजामत की 724 हेक्टेयर जमीन में 374 कृषि योग्य। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। प्रस्तावित नगर निगम में ग्राम पंचायत राज जितवारपुर चौथ एवं निजामत को शामिल करने पर ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज करायी है। इसमें कहा है कि नगर निगम एक्ट 2020 के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए इन दोनों पंचायतों को नगर निगम में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ है। दोनों पंचायतों का भौतिक सत्यापन बीडीओ एवं सीओ से कराने पर हकीकत पता चल पााएगा। आपत्ति में कहा गया है कि जितवारपुर निजामत पंचायत में कुल 724 हेक्टेयर जमीन है। इसमें 374 हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य भूमि है। शेष जमीन में किसान एवं मजदूरों का आवासीय परिसर है। इसके अलावा मवेशियों का स्थान, गाछी, बांसवाड़ी एवं रेलवे का आवासीय परिसर भी है।

 रेलवे एवं बिहार सरकार के आवासीय परिसर की जमीन को अलग कर दिया जाए तो करीब 548 हेक्टेयर जमीन ही इस पंचायत में है। इसमें 370 हेक्टेयर जमीन कृषि योग्य भूमि है। रेलवे एवं बिहार सरकार के कर्मचारी इस पंचायत के मूल आबादी नहीं है। इनको जनसंख्या में जोड़कर नगर निगम प्रस्ताव में इस पंचायत को भेजना मूल आबादी के साथ अन्याय होगा। क्योंकि पंचायत की सभी सड़कें बन चुकी है। हर टोले में सड़क एवं नाला का निर्माण हो चुका है। घर-घर बिजली पहुंच चुकी है।

 गांव में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का सरकार ने सात निश्चय पार्ट 2 में संकल्प ले ही लिया है। जब विकास के सारे आयाम इस पंचायत में मौजूद हैं तो फिर नगर निगम में शामिल कर इस पंचायत के मूल आबादी से टैक्स वसूलना कितना न्याय उचित होगा। ग्रामीणों ने इसे जबरदस्ती जनता से टैक्स वसूलने के समान बताया है। इस पंचायत में लगभग 500 किसानों को किसान सम्मान निधि एवं लगभग दो हजार से ऊपर किसान को किसान क्रेडिट कार्ड सरकार द्वारा दिया गया है।

 कुल आबादी 10000 में  3500 आबादी रेलवे एवं बिहार सरकार के कर्मचारियों की है। लगभग 2000 कृषि मजदूर हैं। 18 सौ से ऊपर मनरेगा मजदूर हैं। यह पंचायत किसी भी ²ष्टिकोण से नगर निगम में शामिल होने के मानक को पूरा नहीं करता है। 2011 की जनगणना के आधार पर नगर निगम का प्रस्ताव है। जबकि 20 21 की जनगणना प्रक्रियाधीन है ।प्रतिवर्ष 2 फीसद आबादी वृद्धि के दर से लगभग 20 21 की जनगणना में बीस फीसद आबादी बढऩे की संभावना है। 2011 की जनगणना पर नगर निगम का गठन पूर्णत: अव्यावहारिक हो जाएगा। ग्रामीणों ने सरकार को पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की उस पंक्ति को भी याद दिलाया है जिसमें वे कहा करते थे कि पंचायतों को और गांव को कभी भी शहरीकरण के नाम पर नगर परिषद अथवा नगर निगम में शामिल नहीं करना चाहिए। क्योंकि बॉल जलेगा पोल पर और टैक्स लगेगा घर से।

 इसके अलावा गांव के गरीब लोग किसान लोग मजदूर लोग सभी से नगर निगम में टैक्स वसूला जाएगा जो ग्रामीण परिवेश में जीने वाले लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और उनको विकास के नाम पर कुछ नहीं मिलेगा क्योंकि उनका विकास तो ग्राम पंचायत राज की व्यवस्था में आज हो चुका है। ग्रामीणों ने अधिकारियों के स्तर पर ही इन पंचायतों का भौतिक सत्यापन कराने और इस पंचायत की सीमा में बसे रेलवे एवं बिहार सरकार के कार्यालय तथा आवासीय परिसर को नगर निगम में शामिल करते हुए शेष मूल आबादी वाले ग्रामीण इलाकों को नगर परिषद से बाहर रखने का अनुरोध किया है। प्रेषित आपत्ति में जितवारपुर निजामत पंचायत वार्ड 13 के उमेश राय, अरुण कुमार राय, नगीना दास समेत दर्जनों लोगों के हस्ताक्षर हैं। 

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