समस्तीपुर सिविल सर्जन ने कहा, शारीरिक व मानसिक विकास में आयोडीन की भूमिका महत्वपूर्ण

सिविल सर्जन ने इसकी उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए जागरूकता होना जरूरी है। जागरूकता के अभाव में कई तरह की परेशानी हो जाती है। इसे दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक की सेवन जरूरी है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 09:30 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:30 AM (IST)
समस्तीपुर सिविल सर्जन ने कहा, शारीरिक व मानसिक विकास में आयोडीन की भूमिका महत्वपूर्ण
ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह को लेकर एएनएम स्कूल में प्रशिक्षण कार्यक्रम। फोटो- जागरण

समस्तीपुर, जासं। एएनएम स्कूल प्रांगण में ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह को लेकर गुरुवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आयोडीन की कमी से होने वाले विभिन्न रोगों की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में बताया गया कि आयोडीन की कमी से कई तरह के रोग मसलन घेघा, गर्भवती महिलाओं का गर्भपात, बच्चों का बौनापन, बहरापन, बच्चे की ऊंचाई, छोटा होना, उसका डेवलपमेंट रुक जाना इसके अलावा सीखने और जानने की क्षमता का कम हो जाना होता है। इसलिए आयोडीन की कमी को दूर करने की जरूरत है। प्रशिक्षण में आयोडीन युक्त नमक इस्तेमाल करने की जरूरत पर बल दिया गया। अध्यक्षीय संबोधन में सिविल सर्जन डा. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने इसकी उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए जागरूकता होना जरूरी है। जागरूकता के अभाव में कई तरह की परेशानी हो जाती है। इसे दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक की सेवन जरूरी है। आयोडीन की संतुलित मात्रा हमारे भोजन में होना बहुत जरूरी है। जन्म के बाद हमारे शारीरिक व मानसिक विकास में आयोडीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. बिनोद कुमार सिंह, जिला वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी डा. विजय कुमार, डा. गौरव कुमार, सुमंत कुमार, एएनएम स्कूल की प्राचार्य माला कुमारी आदि उपस्थित रहे।

मां में आयोडीन की कमी से बच्चे का नहीं हो पाता शारीरिक विकास

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. सतीश कुमार सिन्हा ने आयोडीन की कमी के प्रमुख कारणों, उनसे होने वाले विकारों तथा आयोडीन-विकार को दूर करने के लिए आयोडीन युक्त नमक के प्रयोग करने तथा उसके रख-रखाव पर विभिन्न प्रकार की जानकारियां प्रदान की। उन्होंने बताया कि आयोडीन शिशु के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मां में आयोडीन की कमी से पैदा होने वाले बच्चे का शारीरिक विकास भी पूरा नहीं हो पाता। भ्रूण के समुचित विकास के लिए आयोडीन एक जरूरी पोषक तत्व है। यह शिशु के दिमाग के विकास में अहम भूमिका अदा करता है। शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का काम भी आयोडीन करता है। डा. सुधा वर्मा ने गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवजात शिशुओं का वजन कम होना, शिशु का मृत पैदा होना आदि समस्याएं आती है। 

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