पश्चिम चंपारण में गंडक नदी के घड़ियालों की सुरक्षा होगी और बेहतर, सर्वेक्षण शुरू
West Champaran वाल्मीकिनगर के गंडक बराज के समीप है घड़ियालों का प्रजनन केन्द्र। गंडक बराज से अचानक पानी छोड़े जाने से नष्ट हो गए हैं दो केन्द्र। वीटीआर प्रशासन के प्रस्ताव पर घड़ियाल संरक्षण के लिए। केन्द्र सरकार ने स्वीकृत की 12.5 लाख की राशि।
पश्चिम चंपारण, जागरण संवाददाता। गंडक नदी में घड़ियालों की सुरक्षा के लिए वाल्मीकि व्याध्र आरक्ष्य प्रशासन ने पहल शुरू कर दी है। इसमें घड़ियालों के प्राकृतिक प्रजनन केन्द्रों की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की बात शामिल है। गंडक नदी में पाए जाने वाले घड़ियालों के प्रजनन केन्द्र की सुरक्षा में सबसे अहम बात गंडक बराज है। यहां से अचानक आने वाले पानी के दबाव से घड़िया के प्रजनन केन्द्र नष्ट भी हुए हैँ। इससे सुरक्षा के लिए वीटीआर प्रशासन ने जल संसाधन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करेगा, जिसमें विभाग के जिला एवं राज्य स्तर के पदाधिकारियों के साथ दो अलग-अलग बैठकें की जानी हैं। बैठक में वाल्मीकि नगर बराज से निकलने वाले पानी के दबाव को कम करने पर विचार विमर्श किया जाना है। हालांकि अभी तक बैठक की तिथि निर्धारित नहीं की गई है। यह काम भारत सरकार से घडियालों के संरक्षण एवं संवद्धZन के लिए 12.5 लाख की राशि स्वीकृत किए जाने के बाद किया
जा रहा है। यहां के प्रशासन का यह मानना है कि घड़ियाल भी अन्य प्रजातियों की तरह संकटग्रस्त स्थिति में आ गया है, इसे देखते हुए इसे भी संरक्षण की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए वार्षिक कार्ययोजना से अलग इस पर प्रस्ताव भेजा गया था। जिसकी स्वीकृति मिली है। वीटीआर प्रशासन का कहना है कि पूर्व के सर्वेक्षण के मुताबिक गंडक बराज एवं अन्य इलाके में घड़िया के आधा दर्जन प्रजनन केन्द्र थे, जिसमें पानी के दबाव से दो प्रजनन केन्द्र नष्ट हो गए हैं। इस काय्र मे तेजी लाने के लिए वीटीआर प्रशासन सोमवार से सर्वेक्षण का कार्य शुरू कर दिया है। सर्वेक्षण दो माह में पूरा कर लिए जाने की बात बताई गई है।
वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक के 320 किलोमीटर के सर्वेक्षण में पाए गए थे 250 घड़ियाल
वीटीआर प्रशासन के द्वारा वर्ष 2018 में घड़ियालों के कराए गए सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण बात सामने आई। वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक के 320 किलोमीटर के सर्वेक्षण में 250 घड़ियाल पाए गए थे। गंडक नदी में इनकी संख्या नियमित रूप से पाई गई हैं। इनके व्यवहार भी सामान्य पाए गए हैं। हालांकि सरकार के द्वारा योजना स्वीकृति के बाद वीटीआर प्रशासन फिर से इसका सर्वेक्षण कराएगा। इसके अलावा इसके लिए सुरक्षित क्षेत्र की भी तलाश करेगी। ताकि उस सुरक्षित क्षेत्र में बाहरी हस्तक्षेप नहीं हो और बिलकुलशांत हो। जानकारों का मानना है कि वन्य प्राणियों की तरह ही जलीव जीव बाहरी हस्तक्षेप पसंद नहीं करता है और इसके चलते उसके सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। वीटीआर क्षेत्र निदेशक,एचके राय का कहना है कि इस क्षेत्र में घड़ियाल के संरक्षण एवं संवद्धZन के लिए वीटीआर की ओर से केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। इसके तहत 12.5 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। इसके लिए सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया गया है।