मुजफ्फरपुर में पंचायत चुनाव की वजह से अटकी फर्जी पेंशनरों से राशि की वसूली
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना एवं मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने पर जुलाई में ही समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने संदेहास्पद पेंशनरों का भौतिक सत्यापन कराने और गड़बड़ी मिलने पर राशि की वसूली व कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया था।
मुजफ्फरपुर, जासं। सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में फर्जीवाड़ा की जांच पंचायत चुनाव के चलते अटकी है। इससे ऐसे पेंशनरों से न तो राशि की वसूली हो पा रही है और न ही कानूनी कार्रवाई ही। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना एवं मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना में फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने पर जुलाई में ही समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने संदेहास्पद पेंशनरों का भौतिक सत्यापन कराने और गड़बड़ी मिलने पर राशि की वसूली व कानूनी कार्रवाई का आदेश दिया था। आदेश आने के कुछ दिनों के बाद ही पंचायत चुनाव की घोषणा हो गई। प्रखंड व पंचायत कर्मियों की इसमें व्यस्तता से भौतिक सत्यापन नहीं हो सका।
संदेहास्पदों की पेंशन जुलाई से ही बंद
फर्जीवाड़ा की संभावना को देखते हुए विभाग ने सभी संदेहास्पद पेंशनरों की पेंशन पर जुलाई में ही रोक लगा दी थी। भौतिक सत्यापन पूरा होने तक पेंशन बंद कर दी है। जांच में फर्जी पाए जाने वाले पर राशि वसूली व प्राथमिकी के आदेश दिए गए थे। मुजफ्फरपुर में संदेहास्पद पेंशनरों की संख्या करीब 23,737 है। इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजना में 23,713 व मुख्यमंत्री वृद्धजन पेंशन योजना में 24 पेंशनर संदेहास्पद हैं। सामाजिक सुरक्षा कोषांग, मुजफ्फरपुर के सहायक निदेशक ब्रजभूषण कुमार ने कहा कि संदेहास्पद पेंशनरों की पेंशन जुलाई से ही बंद कर दी गई है। पंचायत चुनाव के चलते कई प्रखंडों से अभी भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट आने के बाद विभाग के निर्देशानुसार राशि की वसूली की जाएगी।
प्रखंडवार संदेहास्पद पेंशनरों की संख्या
प्रखंड -- पेंशनर
औराई -- 626
बंदरा -- 681
मोतीपुर -- 931
बोचहां -- 2423
ढोली -- 394
गायघाट -- 1537
कांटी --1343
कटरा -- 606
कुढऩी -- 2212
मड़वन -- 495
मीनापुर -- 1156
मुशहरी -- 2559
पारू -- 2070
साहेबगंज -- 2191
सकरा -- 1289
सरैया -- 3224
ऐसे सामने आया मामला
समाज कल्याण विभाग द्वारा आधार आधारित जीवन प्रमाणपत्र जमा कराने की शुरुआत के बाद मामले का पर्दाफाश हुआ। विभाग ने डीबीटी (प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ) सिस्टम से पेंशनरों के बैंक खाते में राशि भेजने की शुरुआत की। इसके लागू होने के बाद हर वर्ष पेंशनरों को आधार आधारित जीवन प्रमाणपत्र जमा करना होता है। इसमें मामला पकड़ में आया।