मधुबनी में किसानों की उम्मीदों को लगी बारिश की नजर, अब कैसे होगी धान की कटाई

Madhubani News बारिश के कारण खेतों में लगी धान की फसल हो रही क्षतिग्रस्त किसानों में मायूसी नुकसान हुई खरीफ फसल की भरपाई व उचित मुआवजा की मांग धान के खेतों में अब भी है जलजमाव कटाई हो रही मुश्‍क‍िल।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 02:16 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 02:16 PM (IST)
मधुबनी में किसानों की उम्मीदों को लगी बारिश की नजर, अब कैसे होगी धान की कटाई
खेतों में पानी लगने से बर्बाद हो रही धान की फसल। जागरण

मधुबनी, जासं। आसमान से बरसी आफत की बारिश के साथ ही इलाके के किसानों की बर्बादी का दौर जारी है। पिछले दिनों हुई बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। कभी बाढ़ तो कभी सूखे के बीच पिसते किसानों की खुशहाली को एक बार फिर मौसम की नजर लग गई है। लगातार बारिश व तेज हवा की वजह से खेतों में लगे धान के पौधे जमीन पर गिर पानी में डूब चुके हैं।

खेतों में लगे पानी की वजह से धान के निकल रहे बैल क्षतिग्रस्त होने का डर किसानों को सता रहा है। जिले के कई हिस्सों में कटनी के बाद खेतों में सूखने के लिए रखी गई धान की फसल हो या फिर खेतों में कटाई के इंतजार में खड़ी धान की फसल, तेज हवा और बारिश की वजह से बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। खरीफ फसल के शुरूआत में ही लगातार हुई बारिश व बाढ़ की वजह से किसान बिचड़ा भी नहीं गिरा पा रहे थे। बाद में कई हिस्सों में किसानों ने महंगे दर पर बिचड़ा खरीद दो से तीन बार खेतों में धान की रोपनी की थी।

मौसम की मार और विपरित परिस्थितियों में भी खेतों में धान के रूप में उम्मीदों की फसल लगाई थी। यही वजह हैं कि इलाके के खेतों में धान की फसल लहलहा रही थी। कई हिस्सों में बाढ़ की वजह से किसानों ने देर से रोपनी की थी। ऐसे में किसान 15-20 दिन बाद कटाई की तैयारी में थे। हालांकि, इलाके की 45 फीसद खेतों में जलजमाव की वजह से धान की कटाई प्रभावित हो रही थी। इसी बीच तेज हवा के साथ जारी बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। बता दें कि जिले में लगभग आठ हजार हेक्टेयर में धान की खेती की गई हैं।

बारिश ने निकाला किसानों का दम

बिस्फी प्रखंड के सिंघिया पूर्वी पंचायत के कृषक बिमल कुमार यादव, हंस कुमार ठाकुर एवं भगौती के किसान जितेंद्र उर्फ मुन्ना का कहना है कि धान का जो पका हुआ बलियां पानी में डूब गया है, उसे मजदूर भी कटनी करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। फलतः फसल बर्बाद होना तय है। वहीं, फसल की बलियां जो पका नही था और पानी में गिर गया है, उसमें पराग व निषेचन की प्रक्रिया बाधित होने से धान के दाने खखरी हो जाने की आशंका भी है। जिससे किसानों को अपना फसल खेतों में ही छोड़ना पड़ेगा।

कई किसानों ने बताया कि अभी खेतों में बारिश का पानी काफी लग जाने से रबी फसल के आच्छादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। जिससे किसानों के द्वारा आलू व अन्य दलहन फसल लगाने के मंसूबों पर पानी फिरने की संभावना है। इस समस्या को लेकर प्रखंड के किसान काफी परेशान व चिंतित हैं। इधर, नूरचक पंचायत पैक्स अध्यक्ष विष्णुदेव सिंह ने बीडीओ बिस्फी समेत कई संबंधित पदाधिकारियों को लिखित आवेदन दे कर भारी बारिश से यहां के किसानों को खरीफ फसल की हुई नुकसान की भरपाई एवं उचित मुआवजा दिलाने के लिए कार्रवाई की मांग किया है।

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