Bihar Election 2020: शिवहर में ठाकुर से शिकस्त के बाद रघुनाथ झा ने छोड़ दी थी यह सीट, जानें पूरी कहानी
Bihar Election 2020 शिवहर में जातीय फैक्टर व सियासी समीकरण का कभी नहीं पड़ा प्रभाव। वर्ष 1972 से 1990 तक लगातार चुने जाते रहे पंडित रघुनाथ झा। वर्ष 1998 में उपचुनाव में मिली जीत के बाद से ठाकुर रत्नाकर राणा को दोबारा जीत नसीब नहीं हुई।
शिवहर, [नीरज]। Bihar Election 2020 : सूबे की विधानसभा सीटों का चुनाव परिणाम भले ही जातीय गणित और दलीय गठबंधन के फार्मूले पर सामने आते रहे हैं। लेकिन, शिवहर में कभी जातीय फैक्टर और राजनीतिक समीकरण का प्रभाव नहीं पड़ा। यहां की जनता ने जिसे अपनाया, उसे भरपूर प्यार दिया। लेकिन, किसी को ठुकराया तो फिर मौका नहीं दिया।
छह जीत का रिकॉर्ड
शिवहर सीट की सियासत तीन कालखंडों में देखी-परखी जाती है। पंडित रघुनाथ झा के पहले, दूसरा उनकी 27 साल की विधायकी और तीसरा उनके बाद का दौर। इस सीट से सर्वाधिक छह जीत का रिकॉर्ड उनके नाम है। वर्ष 1972 से 1990 तक पंडितजी लगातार चुने जाते रहे। वर्ष 1998 के उपचुनाव में जदयू के ठाकुर रत्नाकर राणा से मिली पहली हार के बाद उन्होंने शिवहर सीट को त्याग दिया। बाद के वर्षों में बेतिया और गोपालगंज को कर्मभूमि बना संसदीय चुनाव लड़ा।
बेटे ने संभाली पंडितजी की विरासत
पंडित रघुनाथ झा के पुत्र अजीत कुमार झा ने पहली बार वर्ष 2000 का चुनाव समता पार्टी के टिकट पर लड़ा। लेकिन, वे जनता की नब्ज को नहीं टटोल सके। उस चुनाव में राजद के सत्यनारायण प्रसाद ने उन्हें परास्त कर दिया। हालांकि, वर्ष 2005 के फरवरी और अक्टूबर में अजीत ने राजद प्रत्याशी के रूप में बाजी मारी। दोनों बार जदयू के ठाकुर रत्नाकर को मात दे पिता की हार का बदला लिया। हालांकि, 2010 के चुनाव में राजद के टिकट पर तीसरे स्थान पर खिसक गए, जबकि पिछले चुनाव में सपा के टिकट पर चौथे स्थान पर रहे।
दोबारा नहीं जीत सके राणा
वर्ष 1998 में उपचुनाव में मिली जीत के बाद से ठाकुर रत्नाकर राणा को दोबारा जीत नसीब नहीं हुई। पांच चुनाव में उन्हेंं पराजय का सामना करना पड़ा।