सड़क किनारे हरियाली बनी जमींदारो के गांव पैगंबरपुर की पहचान

मैं सकरा प्रखंड की पैगंबरपुर पंचायत बोल रही हूं। मेरी पहचान पेड़ों की हरियाली से है। 14 किलोमीटर सड़क के दोनों किनारे लगे बड़े-बड़े वृक्ष देखकर लोगों के जेहन में यह बात आने लगती है कि यह वही पैगंबरपुर है जहा के जमींदार फरीउद्दीन अहमद व यमुना प्रसाद थे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Nov 2019 02:13 AM (IST) Updated:Sat, 23 Nov 2019 06:09 AM (IST)
सड़क किनारे हरियाली बनी जमींदारो के गांव पैगंबरपुर की पहचान
सड़क किनारे हरियाली बनी जमींदारो के गांव पैगंबरपुर की पहचान

मुजफ्फरपुर। मैं सकरा प्रखंड की पैगंबरपुर पंचायत बोल रही हूं। मेरी पहचान पेड़ों की हरियाली से है। 14 किलोमीटर सड़क के दोनों किनारे लगे बड़े-बड़े वृक्ष देखकर लोगों के जेहन में यह बात आने लगती है कि यह वही पैगंबरपुर है, जहा के जमींदार फरीउद्दीन अहमद व यमुना प्रसाद थे। इस पंचायत को पूर्व सासद कैप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद व मुजफ्फरपुर के वर्तमान सासद अजय निषाद ने कर्मभूमि माना। आजादी की लड़ाई में चक्त्रधर प्रसाद सिंह, नंद किशोर सिंह, कंचन सिंह, ईश्वर प्रसाद सिंह की भूमिका अहम रही। आजादी की लड़ाई में हुंकार भरनेवाले प्रताप सिंह को अंग्रेजों ने काला पानी की सजा सुनाई। मुझे गर्व है कि इस पंचायत मे पलटन पासवान जैसे पहलवान, अंबिका सिंह व विद्यानंद सिंह जैसे समाजसेवी का जन्म हुआ। सच मानों तो मेरा अतीत भले ही खराब रहा हो पर भविष्य उज्ज्वल है। अपने सपूत इंद्रभूषण सिंह अशोक को कभी नहीं भुला सकती। उन्होने ही मेरा वजूद कायम किया। देश के कोने-कोने में आज मेरा नाम है। विदेशों में भी मेरा जलवा है। विदेशी जब मुजफ्फरपुर आते हैं तो 15 किमी की दूरी पर स्थित मुझे देखने जरूर आते हैं। सात किमी लंबी कदाने नदी के बाध पर लगे पौधों को देख वे दातो तले अंगुली दबाते हैं। इतनी बड़ी उपलब्धि कि फिल्म बनाकर योजनाओं से दूसरे देशों के नागरिकों को अवगत कराते हैं। एक प्रशासनिक महकमा के अधिकारी ने हुंकार भरी जिसे अशोक ने आगे बढ़ाने का काम किया। योजना आयोग के सदस्यों ने कुटीर उद्योग विकसित करने की बात कही। सरकारी तंत्र ने इसे विकसित करने के लिए पैगंबरपुर को मॉडल बनाया। सच मानें तो वे बातें आधे-अधूरे सपने की मानिंद ही रह गईं। सरकार योजनाओं को जमीन पर लाने की बात नहीं करती। मनरेगा के वे मजदूर जो मजबूर थे उन्होंने मुझे पाल-पोष के बड़ा किया, लेकिन उनके जीवकोपार्जन का साधन मानो खत्म हो गया। दुख इस बात का है कि इसे कोई सुनने वाला नहीं। परिसीमन व आरक्षण ने पूरे मानचित्र को बदल दिया। वर्ष 1994 में पंचायत परिसीमन के पहले मैं योगिनी गनियारी पंचायत का अंग थी। वर्ष 2001 के चुनाव में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा। पहले मुखिया राम विवेक सिंह हुए, लेकिन दो वषरें के कार्यकाल में ही उनकी हत्या अपराधियों ने कर दी। मध्यावधि चुनाव ने इंद्र भूषण सिंह अशोक जीते। मेरी इच्छा आदर्श पंचायत के रूप में जाने की है। बच्चों के भविष्य के लिए थोड़ा चिंतित हूं। प्राथमिक शिक्षा तो देने में सक्षम हूं पर उच्च शिक्षा के लिए 15 किमी का सफर तय करना होता है। विकास की धारा बही। भवन व सड़कों का निर्माण हुआ। दलितों को स्वच्छ जल मिले इसकी व्यवस्था हुई। बिजली की समस्या दूर हुई।

सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाना मेरा प्रयास : मुखिया श्रीकात पासवान ने कहा कि पौधों से पंचायत का विकास तो हुआ पर चिंता उन मजदूरों के लिए बढ़ गई हैं जो बेरोजगार हो गए हैं। सरकार को कुटीर उद्योग स्थापित कराने का प्रयास करना होगा। पंचायत में सरकारी बैंक खुलने से विकास की गति बढ़ेगी। सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाना मेरा प्रयास है। अमन, चैन व शाति बनी रहे इसकी पुरजोर कोशिश होगी।

चौपाल में ये रहे उपस्थित : मृत्युंजय कुमार, रविंद्र कुमार सिंह, टीपू राम, अनिल कुमार, संजीव कुमार, नूतन कुमारी, सुबोध कुमार, देवनारायण ठाकुर, सुनील कुमार, फकीरचंद पासवान, यदुनंदन पासवान, सीताराम पासवान, लाला साह, राधाकात पासवान, रामदयाल पासवान, उमेश कुमार, सतेंद्र कुमार, सतेंद्र राम, सुमन कुमार, आनंद कुमार, प्रमोद कुमार, चंदन कुमार, बालेश्वर पासवान, डॉ.नंद कुमार सिंह आदि।

चौपाल मे उठीं पंचायत की समस्याएं

उप स्वास्थ्य केंद्र पर दैनिक सामग्री का अभाव

दलित बस्ती में जल निकासी की व्यवस्था नहीं

सरकारी बैंक का अभाव

किसानों के लिए कृषि के लिए बिजली की व्यवस्था नहीं

राशन कार्ड से वंचित 200 परिवार

दूसरे के राशन कार्ड पर उठा रहे अनाज

संपन्न परिवारों को मिल गया राशन कार्ड का लाभ

वृद्धावस्था पेंशन के 2015-16 के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण

सरकारी भूमि पर हो रहा अतिक्त्रमण

कुलेसरा से हुस्सेपुर तक जाने वाली सड़क जर्जर

पुल निर्माण कंपनी ने नहीं बनाई सड़क

योजनाएं जो हुईं पूरी

सात निश्चय से एक करोड़ 72 लाख 56 हजार 550 रुपये खर्च हुआ।

सड़क, पुल-पुलिया समेत नाला, सोलिंग व पीसीसी का निर्माण हुआ।

मनरेगा से निजी पशु शेड समेत कई कायरें का निर्माण हुआ।

व‌र्ल्ड बैंक की ओर से निर्मल नीर परियोजना से गाव में पहुंच रहा हर घर नल का जल।

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