जीवित्पुत्रिका व्रत की तैयारी पूरी, निर्जला उपवास रखकर बच्चों के लंबी उम्र की होगी कामना

बगहा। हिदू धर्म में कई तरह के पर्व त्योहार मनाए जाते हैं। इसमें से एक जिउतिया या जितिया भी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 04:55 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 04:57 PM (IST)
जीवित्पुत्रिका व्रत की तैयारी पूरी, निर्जला उपवास रखकर बच्चों के लंबी उम्र की होगी कामना
जीवित्पुत्रिका व्रत की तैयारी पूरी, निर्जला उपवास रखकर बच्चों के लंबी उम्र की होगी कामना

बगहा। हिदू धर्म में कई तरह के पर्व त्योहार मनाए जाते हैं। इसमें से एक जिउतिया या जितिया भी है। जिसे जीवित्प़त्रिका व्रत के नाम से जाना जाता है। इस बार यह बुधवार को है। नहाय- खाय के साथ इस व्रत का आरंभ मंगलवार को हुआ। इसमें लगने वाले पारंपरिक जितिया धागा, दुग्ध, अनाज, घी शक्कर के साथ अन्य सामग्री की खरीद मंगलवार को की गई। इस दिन काफी संख्या में व्रतियों ने समीप के नदी व नहर में स्नान किया। साथ हीं बिना लहसुन, प्याज वाले भोजन ग्रहण किए। बच्चों के लंबी व स्वस्थ जीवन के लिए प्रतिवर्ष इस व्रत को रखने की परंपरा चली आ रही है। बुधवार को भी व्रती नदी में स्नान कर सामूहिक रूप से इसकी कथा को सुनेंगे। वहीं पूरे दिन बिना अन्न व जलग्रहण किए कठोर व्रत का पालन करेंगे। पंडित वैद्यनाथ मिश्र ने बताया कि आदि काल से अपने बच्चों की सुरक्षा, सलामती, सुखमय जीवन व उज्जवल भविष्य के लिए माताएं इस व्रत को करती आ रही हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से बच्चों की अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। साथ हीं वह लंबे समय तक स्वस्थ जीवन गुजारते हैं। इसी कारण पूरे विधि विधान से महिलाएं अपने बच्चों के लिए इस कठोर व्रत का पालन करती हैं। इस व्रत का उल्लेख पुराने धर्मग्रंथों में भी मिलता है। कई महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी इसको रखती हैं। बता दें कि प्रत्येक वर्ष यह व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के नवमी तिथि को मनाया जाता है। वैसे यह व्रत तीन दिनों का माना गया है। जो अष्टमी से आरंभ होकर दशमी को समाप्त होता है।

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