एक दशक बाद भी सरिसवा नदी को नहीं किया जा सका स्वच्छ, पानी अब हो गया है जहरीला

प्रदूषणमुक्त करने को लेकर नहीं हुआ अबतक प्रयास। प्रदूषित पानी से मिट्टी के बंजर होने को ले पटवन भी नहीं करते हैं किसान। सड़ांध से आस-पास के रहने वाले लोग बेचैन रहते हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 11:56 AM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 11:56 AM (IST)
एक दशक बाद भी सरिसवा नदी को नहीं किया जा सका स्वच्छ, पानी अब हो गया है जहरीला
एक दशक बाद भी सरिसवा नदी को नहीं किया जा सका स्वच्छ, पानी अब हो गया है जहरीला

पूर्वी चंपारण, [विजय कुमार गिरि]। भारत-नेपाल सीमा को रेखांकित करने वाली सर्प के आकार की नदी अपने हाल पर पिछले एक दशक से रो रही है। नदियों के किनारे सत्यता का विकास हुआ। नदियों की पूजा करने की हमारी परंपरा है। लेकिन सीमा पर अवस्थित इस नदी को स्वच्छ करने की दिशा में प्रयास नहीं किया जाना लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। नेपाल से गिराए जा रहे रसायनयुक्त काले पानी सरिसवा नदी के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। इसका पानी अब जहरीला हो गया है। विभिन्न गांवों से गुजरने वाली नदी का जल इतना प्रदूषित है कि इसकी सड़ांध से आस-पास के रहने वाले लोग बेचैन रहते हैं।

प्रदूषमुक्त करने का केवल मिला आश्वासन

नदी के पानी को स्वच्छ करने के लिए लगातार आंदोलन हुआ, परंतु आंदोलन का भी असर नहीं हुआ। इसे प्रदूषणमुक्त कराने के लिए राजनीतिक दलों के लोगों व प्रशासन ने लगातार आश्वासन दिया, परंतु नदी को प्रदूषणमुक्त कराने की कार्रवाई आश्वासन के बीच उलझी रही है। इस नदी को क्षेत्र के लोग जीवनदायिनी मानते थे। नदी का उद्गम स्थल नेपाल है। इस नदी किनारे बसे दोनों देशों के लोग करीब चार दशक पूर्व इस पानी से भोजन पकाते थे। इसके अलावा नदी में स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता था, परंतु इन दिनों नदी का पानी शरीर में लगते ही चर्म रोग हो जाता है। वहीं नदी का पानी जहरीला हो गया है, जिसके कारण जलीय पौधे व जंतु तक पानी में नहीं हैं।

इसके पानी का अब नहीं होता कोई उपयोग

इसके पानी से पटवन होता था, परंतु अब पानी खेत में डालने से मिट्टी बंजर होने की संभावना से किसान इसका उपयोग नहीं करते हैं। इसको प्रदूषणमुक्त कराने की योजना नहीं बनाए जाने से क्षेत्र की जनता में रोष है। इन दिनों पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के वीरगंज उप महानगरपालिका द्वारा हजारों टन कूड़ा-कचरा इस नदी में डाला जा रहा है, जिससे नदी के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है। नदी ने नाला का रूवरूप ले लिया है। नदी में डाले जा रहे कचरे रक्सौल के रास्ते सुगौली सिकरहना नदी से बूढ़ी गंडक और गंगा नदी में पहुंच रहा है। इस विषय पर दोनों देशों के बीच बात कर नदी को स्वच्छ करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

नदी की हालत एक नजर में

-नदी का काला पानी काल बनकर बह रहा है।

-रसायन व दुर्गन्धयुक्त पानी होने से पशु-पक्षी भी इसे नहीं पीते, खेतों का भी नहीं हो रहा पटवन।

-नेपाल के करीब 50 कल-कारखानों का गंदा पानी नदी में छोड़ा जाता है।

-नेपाल के उद्योगपति अंतरराष्ट्रीय कानून का कर रहे उल्लंघन।

-कल-कारखानों में नहीं हैं ट्रीटमेंट प्लांट।

-जीवनदायिनी सरिसवा नदी बन गई है समस्या।

-आंदोलन भी रहा बेअसर।

-किसानों को पटवन को लेकर समस्या।

यह प्रयास जरूरी

- कल-कारखानों में ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर पानी को साफ रखना चाहिए।

- दोनों देश सरकारी स्तर पर वार्ता करें, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके।

- नदी को प्रदूषित होने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।

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