East Champaran: भजन संध्या के अंतरराष्ट्रीय मंच पर कवियों व साहित्यकारों ने बिखरी लोक संस्कृति की महक

East Champaran नवरात्रि पर वर्चुअल आयोजन में देश विदेश के 36 लोगों ने लिया भाग अलग अलग भाषाओं में सुनाए माता के भजन आयोजन का साहित्यिक संस्था गुलमोहर फेसबुक ग्रुप सहित हर ग्रुप में लाइव प्रसारण किया गया।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 04:13 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 04:13 PM (IST)
East Champaran: भजन संध्या के अंतरराष्ट्रीय मंच पर कवियों व साहित्यकारों ने बिखरी लोक संस्कृति की महक
मोतिहारी भजन संध्या के अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुति देती कवियत्री व साहित्यकार। जागरण

मोतिहारी, जासं। गाजियाबाद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरप्रसाद शास्त्री ट्रस्ट की ओर से इस बार नवरात्रि पर वर्चुअल माध्यम से अंतरराष्ट्रीय भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस वर्चुअल आयोजन में देश-विदेश के 36 लोगों ने भाग लिया और अलग-अलग भाषाओं में माता के भजन सुनाए। इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर कवियों व साहित्यकारों की प्रस्तुति में महसूस मिट्टी की सोंधी महक साफ महसूस की गई। इस आयोजन का साहित्यिक संस्था गुलमोहर फेसबुक ग्रुप सहित हर ग्रुप में लाइव प्रसारण किया गया।

सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरप्रसाद शास्त्री की बेटी मशहूर लेखिका मधु शर्मा (न्यूयार्क) अमेरिका ने अपनी प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत की। भारत से तृप्ति द्विवेदी मिश्रा (मघ्यप्रदेश), प्रमिला शरद व्यास (राजस्थान), सुनीता माहेश्वरी (मध्यप्रदेश) एवं प्रियंका भट्ट (राजस्थान) ने नवरात्रि की शुरूआत की। इसमें लोकगीत एवं गरबा गायन किया। इसके बाद भारत से लीना झा (मुंबई), वंदना खुराना (लंदन), स्मृति त्रिवेदी (दोहा, कतर), इशीका झा (मुंबई) से मैथिली, संस्कृत, पंजाबी एवं भोजपुरी में माता के भजनों को गाया। तीसरा दिन मिथिलांचल से झा सिस्टर्स के नाम रहा, इसमें दिल्ली से पायल झा, सहरसा से पल्लवी झा एवं चम्पारण मोतिहारी से उनकी छोटी बहन प्रियंका झा ने मैथिली में लोकगायन किया।

इस कार्यक्रम में उनका साथ दिया वैकुंवर (कनाडा) से शिखा पोरवाल ने जिन्होंने नवरात्रि में कलश की महत्ता एवं अपनी स्वरचित रचना पेश की। मंच संचालिका (चम्पारण) प्रियंका झा ने संस्कृत के श्लोक से किया। उनके साथ जुड़ी रहीं वर्जीनिया से मंजू श्रीवास्तव, भारत से डा. मीरा सिंह, न्यूयार्क से मधु खरे। पांचवे दिन लोकगीतों को लेकर आई थी पटना बिहार से डा.मीना कुमारी, गुजरात से इप्शिता यतीश, अमेरिका से मधु खरे एवं दोहा कतर से स्मृति त्रिवेदी। छठे दिन बिहार से अंजू भारती, लंदन से अरूण गुप्ता, पूना से डा. कुसुम ठाकुर एवं शिकागो (अमेरिका) से संगीता सिंह ने कश्मीरी, मैथिली, भोजपुरी एवं हिंदी में माता के लोकगीत गाए।

सातवें दिन प्रवासी भारतीयों के नाम रहा। इसमें न्यूयॉर्क से नरेंद्र कपूर, डा. नीलिमा मदान, बुध जसूजा, ज्योति गुप्ता, राज धींगरा, रमा बहरी, अंजू शर्मा, गौतम चोपड़ा, अमिता कारवाल एवं रेखा विचारा ने पंजाबी अवधी एवं हिंदी में माता के लोकगीत गाये। कार्यक्रम के अंतिम दिन की शुरुआत की मंच संचालिका प्रियंका झा (चम्पारण) ने संस्कृत के श्लोकों से इसमें उनका दिल्ली से ज्योति राहुल उपाध्याय, अमेरिका से मधु खरे, भारत से डा. मीरा सिंह, अमेरिका से बुध जसूजा एवं आयोवा (अमेरिका) से डा. श्वेता सिंह ने साथ दिया। पंजाबी, हिंदी संस्कृत एवं मैथिली भाषा में भजन गाकर माता को नमन किया। इस कार्यक्रम में मंच संचालिका प्रियंका झा ने प्रतिदिन माता के रूपों का वर्णन किया साथ ही नवरात्रि में रंगों का महत्व भी बताया।

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