Samastipur: '...जिंदगी इक किताब है, पन्ने पन्ने का हिसाब है', काव्य पाठ से गूंजा समस्‍तीपुर का कुसुम सदन

समस्‍तीपुर के कुसुम पाण्डेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। बेहतर प्रस्तुति पर तालियां भी बजती रही। इस दौरान विभिन्न रस के काव्यों का पाठ किया गया। आप भी पढ़ें और आनंद लें...

By Murari KumarEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 03:58 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 03:58 PM (IST)
Samastipur: '...जिंदगी इक किताब है, पन्ने पन्ने का हिसाब है', काव्य पाठ से गूंजा समस्‍तीपुर का कुसुम सदन
कवि सम्मेलन में वरिष्ठतम शिक्षाविद पलटू चौधरी को सम्मानित करते साहित्यकार डा. नरेश कुमार विकल और शिवेंद्र पांडेय

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। कुसुम पाण्डेय स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में रविवार को काव्य संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठतम शिक्षाविद पलटू चौधरी ने की। संचालन प्रवीण कुमार चुन्नू ने किया। द्वारिका राय सुबोध, नाशाद औरंगाबादी, डॉ नरेश कुमार विकल तथा डॉ राम पुनीत ठाकुर तरुण विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान रहे। इस दौरान शिक्षाविद पलटू चौधरी का अभिनंदन किया गया। कवियों की प्रस्तुति से देर रात तक समां बंधी रही। वहीं बेहतर प्रस्तुति पर तालियां भी बजती रही। इस दौरान विभिन्न रस के काव्यों का पाठ किया गया।

शिवेंद्र कुमार पांडेय ने कहा-

टैक्स घटे, रोजगार मिले, सुरक्षा पर रहे सरकारी ध्यान

न्यायालय सहित सरकारी तंत्र से हटें भ्रष्ट बेईमान।

दीपक कुमार श्रीवास्तव ने अपनी प्रस्तुति में कहा-

जिंदगी इक किताब है, पन्ने पन्ने का हिसाब है

खेल वक्त-वक्त का है, कभी जीत कभी हार है।

उदय शंकर चौधरी ने मां को चित्रित किया।

मां ही मंदिर मां ही मस्जिद देवालय गुरुद्वारा है

मां ममता की पावन सरिता प्यार की निर्मल धारा है।

राज कुमार राय राजेश ने मौसम को अपने काव्य पाठ का आधार बनाया। कहा-

मनभावन ऋतु राज सुहाना,वन बाग हरित,कण कण बौराना

बगिया में कोयल की कूक,पंचम सुर में नया तराना।

तो द्वारिका राय सुबोध ने फाल्गुन की शुरूआत को उकेरा।

फागुन के हाथों से होली के नाम

किसने है भेज दिया मधु मय पैगाम।

डॉ राम पुनीत ठाकुर तरुण ने भी इसी तर्ज पर अपनी प्रस्तुति दी।

आम और महुआ की उन्मादक गंध

बौराया मन चाहे प्रबल प्रीति बंद।

अजीत कुमार सिंह ने भी आने वाली होली पर ही अपने काव्य पाठ को केंद्रित रखा।

एक बरस पर होली आई, रंग बरसे झम झम

झूम झूम कर नाचो गाओ त र र र रम।

प्रवीण कुमार चुन्नू ने कहा-

अपनेपन की लाज रखता हूं,हर उम्र का लिहाज रखता हूं

चले आओ चाहे तुम जिस वक्त, मैं ये बाहें दराज रखता हूं।

आचार्य परमानन्द प्रभाकर की प्रस्तुति को भी लोगों ने सराहा।

बा‌संती चलती हवा पुलकित हैं सब अंग

कुछ पीकर कुछ बिना पिए दिखते लोग मतंग।

राम लखन यादव ने कहा- पप्पू तुम भारत की चिंता छोड़

किसी लड़की से कर ले गठजोड़।

डॉ रामेश गौरीश ने उपस्थित सभी रचनाकारों का स्वागत किया। समापन वरदान महादेव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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