Dussehra 2020: समस्तीपुर के लोग नहीं देख पाएंगे इस वर्ष रावण वध, 50 वर्षों की परंपरा पर कोरोना का ब्रेक

Dussehra 2020 समस्तीपुर के पटेल मैदान और जितवारपुर में 49 वर्षों से रावण वध की परंपरा पर कोरोना ने इस वर्ष ब्रेक लगा दिया है। रावण दहन के इस मौके पर शहरवासी अधर्म पर धर्म की विजय का संकल्प दोहराते थे।

By Murari KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 02:57 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 02:57 PM (IST)
Dussehra 2020: समस्तीपुर के लोग नहीं देख पाएंगे इस वर्ष रावण वध, 50 वर्षों की परंपरा पर कोरोना का ब्रेक
समस्तीपुर में 49 वर्षों से रावण वध की परंपरा पर लगा ब्रेक

समस्तीपुर, जेएनएन। अधर्म पर धर्म के विजय के प्रतीक विजयादशमी के मौके पर सार्वजनिक पूजास्थल समस्तीपुर के पटेल मैदान और जितवारपुर में 49 वर्षों से रावण वध की परंपरा पर कोरोना ने इस वर्ष ब्रेक लगा दिया है। रावण दहन के इस मौके पर शहरवासी अधर्म पर धर्म की विजय का संकल्प दोहराते थे। दशहरे के मौके पर यहां एक परंपरा का रूप ले चुके रावण वध को लेकर पूरा शहर सुबह से ही तैयारी में जुटा होता था। माता की यात्रा पूजा के बाद हर किसी का रूटीन रावण वध के हिसाब से ही तय होता था।

 निर्धारित समय पर पूजा स्थल से भगवान श्री राम की विजय यात्रा निकाली जाती है जो शहर के प्रमुख मार्गों का भ्रमण करते वापस गांधी मैदान लौटती है और फिर रावण दहन का कार्यक्रम किया जाता है। यात्रा में तरह-तरह की झांकियां प्रस्तुत की जाती है। शहर में भगवान राम की इस झांकी को देखने के लिए शहरवासी सड़क किनारे कतारबद्ध खड़े रहते हैं । राम, लक्ष्मण, हनुमान व उनकी बानरी सेना और साथ में अधर्म पर विजय पाने को लोग चल रहे होते हैं । ऐसा लग रहा होता है मानो सचमुच श्रीराम के आदर्शों को मानते शहरवासी आज सामाजिक बुराईयों को, विकारों को, अपने अंदर के अहंकार को खत्म कर देंगे।

1970 में शुरु किया गया था कार्यक्रम

सन 1970 में समाज के पंजाबी समाज के बुजुर्गों द्वारा पटना के गांधी मैदान की तर्ज पर रावण वध करने की योजना बनाई गई। समाज के लोगों के साथ भरपूर प्रशासनिक सहयोग मिला। उस वक्त समस्तीपुर दरभंगा जिले का अंग हुआ करता था।  उस वक्त के अधिकारियों ने यहां के लोगों की शांतिप्रियता, आपसी सौहार्द और सार्वजनिक कार्यों में भी अपनेपन से दिलचस्पी को मिसाल बताया। फिर क्या था इस कार्यक्रम ने तो एक परंपरा का रूप ले लिया। धीरे-धीरे स्थिति ऐसी बन गई कि रावण वध कार्यक्रम को देखने के लिए बच्चे सालों भर प्रतीक्षा करने लगे।

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