मुजफ्फरपुर के लोग जलजमाव से परेशान, नगर निगम में कुर्सी का खेल जारी
सफाई महकमा और संबंधित एजेंसी निर्माण कार्य के नाम पर जमकर पैसे बहा रही है। इसका कोई फलाफल नजर नहीं आ रहा। जनता जलजमाव से परेशान है। एक-डेढ़ घंटे की मूसलाधार बारिश कई दिनों का दर्द दे जा रही।
मुजफ्फरपुर, [राकेश कुमार]। स्मार्ट सिटी में हर व्यवस्था स्मार्ट है। इसकी बानगी देखिए, बारिश का मौसम शुरू होने से कुछ दिन पहले नाला के साथ-साथ मुख्य से लेकर गली-मोहल्लों तक में निर्माण कार्य शुरू हुआ। इन दिनों पूरे शहर में तेजी से कार्य चल रहा है। नाले खोदकर छोड़ दिए गए हैं। नाला उड़ाही की याद भी इसी समय आती है। सफाई महकमा और संबंधित एजेंसी निर्माण कार्य के नाम पर जमकर पैसे बहा रही है। इसका कोई फलाफल नजर नहीं आ रहा। जनता जलजमाव से परेशान है। एक-डेढ़ घंटे की मूसलाधार बारिश कई दिनों का दर्द दे जा रही। बारिश से फिर पूरे शहर में जलजमाव हो गया है। दुकानों व घरों में नाले का पानी घुस गया। नारकीय हालत हो गए हैं। जनता कह रही इहे हई स्मार्ट सिटी के स्मार्ट मास्टर प्लान। हल्की बारिश में ही पूरा शहर तैरे लगई छई। जे नया सड़क बनलई, ओकरो पर पानी लग जाई छई।
विकास डंप, कुर्सी को जोड़-तोड़ शुरू
शहर के सफाई महकमा में इन दिनों सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। वहां का राजनीतिक पारा गर्म है। महकमे के छोटे आका ने किसी तरह कुर्सी बचा ली, लेकिन बड़े आका इसमें विफल रहे। अब उनकी कुर्सी को लेकर उठा-पटक शुरू हो गई है। वार्डों के जनप्रतिनिधि विकास कार्य छोड़ खेमेबाजी में जुटे हैं। बड़े साहब वाली कुर्सी पर चहेते को बैठाने के लिए दिन-रात एक किए हैं। अपने हित के लिए शहरी क्षेत्र के नेताजी भी गुपचुप तरीके से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसका असर महकमा कार्यालय पर भी पड़ा है। वहां कोई काम नहीं हो रहा। योजनाओं के कार्यान्वयन की भी गति धीमी हो गई है। अपने काम को इधर-उधर भटक रही जनता कह रही शहर के विकास और लोगों की सुविधाओं से इनका कोई लेना-देना नहीं। इन्हें तो अपनी पड़ी है। विकास डंप है। कुर्सी के लिए जोड़-तोड़ शुरू है। पता नहीं क्या...?
कमीशन के खेल में मरीजों पर आफत
स्वास्थ्य महकमा में कहने को सबकुछ स्वस्थ चल रहा है। महकमे से जुड़े साहब भी हमेशा स्वस्थ बातें करते रहते। यह सब कागज पर ही दिखता है। हकीकत कुछ और ही बयां कर रही। इन दिनों एक बड़ा सरकारी अस्पताल बिचौलियों की दबंगई को लेकर सुर्खियों में है। वे वहां आने वाले गरीब भोले-भाले मरीजों व उनके स्वजनों को झांसा दे रहे हैैं। बेहतर इलाज का प्रलोभन दे निजी अस्पताल ले जाते। विरोध किया तो उसकी खैर नहीं। उससे मारपीट भी करते। दो दिन पहले ही वहां तैनात गार्ड को जान बचाने के लिए हवाई फायङ्क्षरग तक करनी पड़ी। अस्पताल प्रबंधन भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूरी कर रहा। लोग कह रहे कमीशन के चक्कर में मरीज व उनके स्वजनों पर आफत है। प्रबंधन को बिचौलियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए।
फ्यूज हो गए रंग-बिरंगे बल्ब
शहर के सफाई महकमा की बात ही कुछ और है। यहां हर व्यवस्था निराली है। इससे जनता को फायदा हो या न हो, लेकिन कुछ लोगों को लाभ जरूर होता है। शहर के कुछ फ्लाई ओवरब्रिज पर तामझाम के साथ चंद महीने पहले रंग-बिरंगे बल्बों की झालर लगाई गई। शाम के वक्त जलने पर यह काफी मनमोहक लगती थी। इसे देख जनता भी खुश थी कि चलो स्मार्ट सिटी में कुछ तो स्मार्ट दिख रहा। कुछ दिनों बाद ही धीरे-धीरे कई झालरों के रंग-बिरंगे बल्ब एक-एक का फ्यूज होने लगे। इसे न तो एजेंसी ने ठीक कराया और न ही महकमे ने ध्यान दिया। कई पोलों से झालर भी गायब होने लगी। लोग कह रहे यहां काम तो कराया जाता, लेकिन कोई उसे देखने वाला नहीं। नई-नई योजनाओं के नाम पर खूब पैसों का खेल हो रहा। इसका फायदा शहरवासियों को मिले या नहीं, लेकिन कुछ लोगों को जरूर मिल रहा।